नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (6 अगस्त) कई आगामी कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरियट भवनों में से पहले भवन ‘कर्तव्य भवन’ का उद्घाटन किया। इस महत्वाकांक्षी पहल का उद्देश्य केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को एक ही छत के नीचे लाना, आधुनिक बुनियादी ढाँचा प्रदान करना और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाना है।
कर्तव्य भवन-03 की खासियतें
आधुनिक ऑफिस परिसर: 1.5 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला, जिसमें सात मंजिलें और दो बेसमेंट होंगे। विशाल पार्किंग: 600 कारों के लिए पार्किंग सुविधा। आधुनिक सुविधाएं: शिशुगृह, योग कक्ष, चिकित्सा कक्ष, कैफे, रसोईघर और बहुउद्देशीय हॉल। सम्मेलन कक्ष: 24 बड़े, 26 छोटे सम्मेलन कक्ष, 67 बैठक रूम और 27 लिफ्टें। केंद्र में शामिल मंत्रालय: गृह, विदेश, ग्रामीण विकास, एमएसएमई, पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस, डीओपीटी और प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय आदि।
ग्रीन और सस्टेनेबल बिल्डिंग का बेहतरीन उदाहरण
कर्तव्य भवन सिर्फ भव्य नहीं, बल्कि पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार भी है:
GRIHA-4 रेटिंग लक्ष्य: ऊर्जा बचत और पर्यावरण के अनुकूल डिजाइन।
सोलर एनर्जी: हर साल 5.34 लाख यूनिट बिजली पैदा करने की क्षमता।
जल संरक्षण: वर्षा जल संचयन और अपशिष्ट जल पुनः उपयोग प्रणाली।
ई-वाहन चार्जिंग: इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए चार्जिंग स्टेशन।
ऊर्जा कुशल तकनीकें: एलईडी लाइट्स, स्मार्ट लिफ्ट्स, सेंसर-आधारित लाइट सिस्टम, विशेष डबल-ग्लेज़्ड कांच।
अब क्या होगा उत्तर और दक्षिण ब्लॉक का?
कर्तव्य भवन-3 के चालू होने के बाद उत्तर और दक्षिण ब्लॉक के मंत्रालयों को यहां शिफ्ट किया जाएगा। इसके बाद दोनों प्रतिष्ठित इमारतों को ‘युगे युगीन भारत संग्रहालय’ में बदला जाएगा। इन संग्रहालयों में महाभारत काल से लेकर आधुनिक भारत तक का इतिहास, कला और संस्कृति को दर्शाया जाएगा, वो भी बिना मूल संरचना से छेड़छाड़ किए।
पुराने भवनों की जगह नए क्यों?
केंद्रीय शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बताया कि पुराने सचिवालय भवन 1950-1970 के बीच बने थे, जिनका रखरखाव अत्यधिक महंगा हो गया था। नई इमारतें न केवल टेक्नोलॉजिकल रूप से स्मार्ट हैं, बल्कि उनमें कम ऊर्जा खपत, बेहतर कार्य वातावरण और नवाचार को बढ़ावा देने वाला इकोसिस्टम है।
प्रोजेक्ट टाइमलाइन और लागत
कर्तव्य भवन-1 और 2 भी सितंबर 2025 तक तैयार हो जाएंगे।
बाकी के 7 भवन अप्रैल 2027 तक पूरे होंगे।
पूरी परियोजना पर लगभग ₹1000 करोड़ रुपये खर्च होंगे।