नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में आदि महोत्सव का उद्घाटन किया. इस अवसर पर उन्होंने अपने संबोधन में पुरानी परंपराओं और कलाओं का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसा लग रहा है भारत की अनेकता और भव्यता कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हो गई हो. अनंत विविधताएं इंद्रधनुष की तरह छा गई हैं.
“आदि महोत्सव” के उद्घाटन के अवसर पर PM मोदी का संबोधन
पीएम मोदी ने कहा-‘ आज़ादी के अमृत महोत्सव में आदि महोत्सव देश की आदि विरासत की भव्य प्रस्तुति कर रहा है. आज भारत पूरी दुनिया के बड़े-बड़े मंचों पर जाता है जहाँ आदिवासी परम्पराओं को अपने गौरव के रूप में प्रस्तुत कर रहा है. आदिवासी समाज को लेकर आज देश जिस गौरव के साथ आगे बढ़ रहा है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ है.’
उन्होंने कहा कि भारत अपने सांस्कृतिक प्रकाश से विश्व का मार्ग दर्शन करता है. पीएम ने कहा-‘आदि महोत्सव विविधता में एकता… हमारे सामर्थ्य को नई ऊंचाई दे रहा है. यह विकास और विरासत के विचार को और अधिक जीवंत बना रहा है. आदिवासी हितों के लिए काम करने वाली संस्थाओं को मैं इसके आयोजन के लिए बधाई देता हूं.’
नई शिक्षा नीति ने आदिवासियों के लिए खोला विकल्प
पीएम मोदी बोले, 2004 से 2014 के बीच केवल 90 ‘एकलव्य स्कूल’ खुले थे, जबकि 2014 से 2022 तक हमने 500 से ज्यादा ‘एकलव्य स्कूल’ स्वीकृत किए हैं. इनमें से 400 से ज्यादा स्कूलों में पढ़ाई शुरू भी हो चुकी है और एक लाख से ज्यादा जनजातीय छात्र इन स्कूलों में पढ़ाई भी करने लगे हैं.
आदिवासी युवाओं को भाषा की बाधा के कारण बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा में पढ़ाई का विकल्प भी खोल दिया गया है. अब हमारे आदिवासी बच्चे, आदिवासी युवा अपनी भाषा में पढ़ सकेंगे, आगे बढ़ सकेंगे. देश जब आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति को अपनी प्राथमिकता देता है, तो प्रगति के रास्ते अपने आप खुल जाते हैं. हमारी सरकार में ‘वंचितों को वरीयता’ के मंत्र को लेकर, देश विकास के नए आयाम को छू रहा है.