नई दिल्ली | भारत की मुहीम आख़िरकार रंग ले आई. दुनिया के गरीब और विकासशील देशों को जलवायु आपदाओं से होने वाले नुकसान के लिए अब मुआवज़ा मिलेगा. तीन दशकों की लम्बी लड़ाई और इन देशों की तरफ से बढ़ते दबाव के आगे अमीर देशों को झुकना पड़ा.
परिणामस्वरुप मिस्त्र में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मलेन कॉप -27 में करीब 200 देशों ने नुकसान व क्षति कोष के गठन को मंजूरी दे दी. इसी कोष से जलवायु परिवर्तन से प्रभावित देशों की आर्थिक मदद की जायगी. 1992 से ही ये देश जलवायु प्रभावों से निपटने के लिए आर्थिक मदद की मांग कर रहे थे.
कोष के गठन पर समझौते का एलान करते हुए संयुक्त राष्ट संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने इसे न्याय की दिशा में अहम कदम बताया है. जलवायु संकट से जूझ रहे लोगों की आवाज सुनने की अपील करते हुए कहा, महज कोष स्थापित करना पर्याप्त नहीं, बल्कि इसे सही मायनों में लागू कर टूटा भरोसा फिर कायम करना होगा.
कमेटी तय करेगी, कौन सा देश मुआवजा देगा
- नुकसान व क्षति कोष के लिए 24 देशों के प्रतिनिधियों की समिति बनेगी. एक साल में पर्याप्त चर्चा के बाद इसकी कार्य प्रणाली तय होगी.
- कौनसा देश कितना मुआवजा देगा, आधार क्या होगा, किन देशों को मिलेगा, यह सब निर्धारित होगा.
- इन नुकसानों पर मिलेगा मुआवजा..चरम मौसमी घटनाओं के साथ ही समुद्र स्तर में वृधि, तापमान में वृद्धि, समुद्र का अमलीकरण, हिमनदों का खिसकना, लवणता, भूमि और वन क्षरण, जैव विविधता और मरुस्थलीकरण के नुकसान की घटनाओं के लिए.
लम्बा इंतजार करना पड़ा: भारत
दुनिया ने नुकसान और क्षति कोष के लिए लम्बी प्रतीक्षा की है. लाखों छोटे किसानों की आजीविका का मुख्य आधार कृषि, जलवायु परिवर्तन से बुरी तरह प्रभावित होगी. इसलिए, हमें उन ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में कटौती की जिम्मेदारियों का बोझ नहीं डालना चाहिए. – भूपेंद्र यादव, केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री
एतिहासिक कामयाबी: कॉप27 में नुकसान व क्षति कोष के गठन को मंजूरी
यह फैसला एक प्रवेश द्वार है… इससे जलवायु परिवर्तन से जुड़ीं पहलों के क्रियान्वयन का दायरा बढ़ेगा. कोष पर सहमति व समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए सम्मलेन दो दिन बढ़ाना पड़ा. – सामेह शुक्री, अध्यक्ष, कॉप27
विरोध में सबसे आगे था अमेरिका
- नुकसान व क्षति कोष की मांग को अमीर देश तीन दशक से टाल रहे थे. विकसित देश, खासतौर पर अमेरिका कोष का विरोध कर रहा था, क्योंकि जलवायु परिवर्तन के चलते हुए भारी नुकसान के लिए यह उन्हें कानूनी रूप से जवाबदेह बनाता है.
- इस कोष का प्रस्ताव भारत और चीन के नेतृत्व में जी77 और चाइना ग्रुप के 130 देशों रखा था. इन देशों का साफ़ कहना था की वे नुकसान व क्षति कोष पर समझौते के बिना कॉप-27 से नहीं जायेंगे.
100 अरब डॉलर देने का वादा आजतक पूरा नहीं
विकसित और अमीर देशों ने वर्ष 2009 में विकासशील व गरीब देशों को हर साल 100 अरब डॉलर देने का वादा किया था, जो आजतक पूरा नहीं हुआ. सम्मेलन में इस बार भी अमीर देशों का दवाब था, तो भारत, ब्राज़ील समेत एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देशों ने भी पूरा दम लगाया हुआ था. इन देशों ने दबाव बनाया कि कोष नहीं बना तो सम्मलेन विफल साबित होगा.