नई दिल्ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (14 अप्रैल) को डॉ. बीआर अंबेडकर की 135वीं जयंती पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। इसके अलावा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, केंद्रीय मंत्री और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता उन नेताओं में शामिल थे जिन्होंने संसद परिसर में संविधान निर्माता की प्रतिमा पर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
राष्ट्रपति ने देश के सभी नागरिकों को शुभकामनाएं दीं
इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश के सभी नागरिकों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दीं। भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता की विरासत का सम्मान करते हुए राष्ट्रपति ने आधुनिक भारत के लोकतांत्रिक और समावेशी ढांचे को आकार देने में उनके अपार योगदान को भी स्वीकार किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने दी श्रद्धांजलि
अंबेडकर को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी प्रेरणा से ही आज देश सामाजिक न्याय के सपने को साकार करने के लिए समर्पित है। प्रधानमंत्री ने एक्स पर लिखा कि उनके सिद्धांत और विचार एक ‘आत्मनिर्भर’ और विकसित भारत के निर्माण को मजबूत और गति प्रदान करेंगे। उल्लेखनीय है कि अंबेडकर को अनुसूचित जातियों के सशक्तिकरण के लिए उनके आजीवन संघर्ष और संविधान का मसौदा तैयार करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जाना जाता है।
अंबेडकर और उनकी विरासत के बारे में जानें
भीमराव अंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के रूप में मनाई जाती है। 14 अप्रैल, 1891 को जन्मे अंबेडकर ने अपना जीवन पिछड़े समुदायों- दलितों, अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जाति (एससी)/अनुसूचित जनजाति (एसटी) के उत्थान के लिए काम करते हुए बिताया और उन्हें देश के संविधान के निर्माता के रूप में याद किया जाता है।
अंबेडकर ने 1951 में भारत के वित्त आयोग की स्थापना की
अंबेडकर को ‘भारतीय संविधान का जनक’ भी कहा जाता है क्योंकि 29 अगस्त, 1947 से 24 जनवरी, 1950 तक भारत के कानून मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने देश के संविधान का निर्माण किया, जो 26 जनवरी, 1650 को लागू हुआ। उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को आकार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अंबेडकर ने 1951 में भारत के वित्त आयोग की स्थापना की और भारतीय रिजर्व बैंक के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो उनके द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों और विचारों पर काम करता है। वे भारत के पहले कानून मंत्री थे। 1956 में उनकी मृत्यु हो गई। उनके योगदान के लिए, अंबेडकर को 31 मार्च 1990 को मरणोपरांत सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया।