शनिवार को भड़की हिंसा में तीन प्रदर्शनकारियों के मौत के बाद दार्जिलिंग के हालात बिगड़ गए हैं. इसके बाद बड़ी संख्या में पुलिस और फौज को तैनात किया है। घटना के बाद इलाके में कर्फ्यु लगा दिया गया है. अर्द्धस्वायत्तशासी गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) में शासन संभाल रहा गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो) वहां अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन चला रहा है.
हालांकि कर्फ्यु लगने के बावजूद भी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के अह्वाहन पर जगह जगह प्रदर्शन किया गया. गोजयुमो के अक्ष्यक्ष बिमल गोरंग ने लोगों से कर्फ्यु तोड़ने की अपील की. लोगों ने सर पर काली पट्टी और हाथों में राष्ट्रीय झंडा के साथ मशहूर चौक बाजार पर मृतकों के शवों के साथ प्रदर्शन किया.
वहीं प्रदर्शनकारियों ने कलिम्पोग पंचायत विभाग और एक पुस्तकालय में आग लगा दी. घटना के सातवें दिन प्रदर्शनकारियों ने अलिपुरदुआर में भारत-भूटान मार्ग को बंद रखा. घटना के बीच गोजयुमों अध्यक्ष बिमल गुरंग ने अलग गोरखालैंड राज्य के मांग पर विचार करने और पुलिस अभियान बंद करने की मांग की है.
केन्द्रीय गृह मंत्री ने राजनाथ सिंह ने प्रदर्शनकारियों से हिंसा छोड़ बातचीत करने की अपील की. उन्होनें लगातार दूसरी बार इस मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात की. सिंह ने दार्जिलींग के लोगों से कहा कि हिंसा से उन्हें कभी कोई समाधान खोजने में मदद नहीं मिलेगी और उन्हें शांति के साथ रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि सभी संबंधित पार्टियों और पक्षों को सौहार्दपूर्ण माहौल में बातचीत के जरिये अपने मतभेदों और गलतफहमियों को सुलझाना चाहिए. सिंह ने कहा कि भारत जैसे लोकतंत्र में हिंसा से कभी कोई समाधान खोजने में मदद नहीं मिलेगी. हर मुद्दे को आपसी वार्ता से सुलझाया जा सकता है.
उन्होंने ट्वीट किया कि मैं दार्जीलिंग और आसपास के क्षेत्रों में रहनेवाले लोगों से अपील करता हूं कि शांत रहें. किसी को हिंसा नहीं करनी चाहिए.
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच कल हुई झड़पों के बाद पश्चिम बंगाल के इस पर्वतीय जिले में बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है.
दार्जीलिंग से विधायक अमर सिंह राय ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि स्थिति को नियंत्रण से बाहर जाने से रोका जा सकता था. उन्होंने कहा, मारा मानना है कि बातचीत के लिहाज से सकारात्मक माहौल बनाने के लिए दार्जीलिंग से पुलिस और सुरक्षाकर्मियों को तत्काल हटाया जाना चाहिए. राजनाथ सिंह ने कहा कि हिंसा का सहारा लेने से कोई मदद नहीं मिलेगी. उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की.
इधर अलग गोरखालैंड के लिए राजनैतिक समर्थन जुटाने के लिए दिल्ली आए गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के सेंट्रल कमेटी मेंबर स्वराज थापा ने कहा कि अगर सेना को वापस भेजा जाता है, तो समस्या क्यों विकराल होगी? उनका आरोप है कि पहाड़ों में अहिंसा राज्य सरकार द्वारा रची गई है. अलग गोरखालैंड गिर्राज एक वैध और संवैधानिक मांग है. दिल्ली के जंतर मंतर पर 500 गेजयुमों समर्थकों ने प्रदर्शन किया।