शिमला(शिमला ग्रामीण). शिमला में भवन निर्माण और अवैध भवनों को नियमित करने को लेकर आए एनजीटी के फैसले के खिलाफ शहरवासी एकजुट हो गए हैं. जनता इस फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रही है.
तीन बड़ी बैठकें हुई
भवन मालिकों का कहना है कि सरकार को इस मामले में रिव्यू पिटीशन करनी चाहिए और भवन मालिकों का पक्ष रखना चाहिए. इस मामले को लेकर रविवार को शिमला में तीन बड़ी बैठकें हुई हैं. इनमें शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले मर्ज एरिया के वार्ड भी शामिल हुए. टुटू में आयोजित आवासीय जनकल्याण समिति की बैठक में मज्याठ और टुटू वार्ड के लोगों ने अपना दर्द बयां किया. कहा कि एनजीटी का यह फैसला भवन मालिकों को नुकसान पहुंचाएगा.
इसलिए परेशान हैं हजारों भवनमालिक
भवन मालिकों का कहना है कि मर्ज एरिया के ज्यादातर मकान उस समय के बने हैं जब ये पंचायतों के अधीन होते थे. उस समय ग्रामीण इलाकों में नक्शे पास करने जैसी कोई शर्त लागू नहीं थी. साथ ही भवन नियमित करवाने को लेकर भी कोई सख्ती नहीं होती थी. लोगों ने मनमर्जी से मकान बना दिए.
इसके बाद निगम ने जबरदस्ती इन क्षेत्रों को अपने अधीन कर लिया. नगर निगम की नई शर्तें अब इन मकान मालिकों पर भी लागू हो गई. उन्हें नक्शे पास करने और भवन नियमित करवाने के लिए मजबूर किया गया. हजारों भवन मालिकों ने इसके लिए आवेदन किया तो उन पर कई आपत्तियां लगा दी गईं. अब नया फैसला आया कि अगर भवन नियमित करवाना है तो 5 हजार रुपए प्रति वर्ग फीट के अनुसार सेस के चुकाने होंगे. इसका मलतब यह है कि यदि 1300 वर्ग फीट का कोई फलैट नियमित करवाना है तो 65 लाख सेस चुकाना होगा.
निगम और सरकार पर दबाव बनाने की तैयारी
वहीं, भवन मालिक अब पार्षदों के साथ मिलकर नगर निगम और सरकार पर इसके लिए दबाव बनाने जा रहे हैं. पार्षद दिवाकर शर्मा का कहना है कि नगर निगम हाउस में इस मामले को उठाया जाएगा. इसके बाद सरकार पर भी दबाव डाला जाएगा. कहा कि सरकार 15 दिसंबर तक इस मामले में रिव्यू पिटीशन करवा सकती है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ही आखिरी रास्ता रह जाएगा. नगर निगम की मासिक बैठक 29 नवंबर को होने जा रही है. इसी बैठक में पार्षद प्रशासन से भी सवाल पूछेंगे कि वह मर्ज एरिया के लोगों को राहत दिलाने के लिए क्या कदम उठा रहा है.