नई दिल्ली. रक्षा मंत्री Rajnath Singh ने एक्स पर एक पोस्ट करते हुए भारत के आतंकवाद पर Zero Tolerance Policy को दोहराया और कहा कि यह समय है जब global community को एक साथ आकर आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए।
राजनाथ सिंह का लेख: आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक युद्ध की आवश्यकता
उन्होंनेकहा कि आतंकवाद को खत्म करने के लिए सिर्फ नीति नहीं, बल्कि एकजुट इच्छाशक्ति चाहिए।
लेख में उन्होंने कहा कि Terrorism मानवता पर एक अभिशाप है। यह क्रांति और शहादत के नाम पर हिंसा को महिमामंडित करता है। जो यह कहते हैं कि ‘एक आदमी का आतंकवादी, दूसरे का स्वतंत्रता सेनानी है’ – वे सच्चे लोकतंत्र के दुश्मन हैं।”
लेख में क्या हैं मुख्य बिंदु?
आतंकवाद की एक Universal Definition तय होनी चाहिए।
आतंकवाद को शह देने वाले देशों (जैसे पाकिस्तान) को वित्तीय और कूटनीतिक रूप से अलग-थलग किया जाए।
धर्म के नाम पर हिंसा फैलाने वालों को किसी भी रूप में वैधता न दी जाए।
State और Non-State Actors, दोनों के आतंकी नेटवर्क को खत्म किया जाए।
Comprehensive International Convention on Terrorism का समर्थन हो, जिसे भारत लंबे समय से प्रस्तावित कर रहा है।
पाकिस्तान पर तीखा हमला: सिंधु जल संधि का ज़िक्र
राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को आतंकवाद का सबसे बड़ा sponsor बताते हुए लिखा कि भारत ने पाकिस्तान को कूटनीतिक और आर्थिक रूप से isolate किया है। हमने Sindhu Water Treaty को स्थगित कर रखा है, जो पाकिस्तान के लिए जीवन रेखा है।”
पाकिस्तान की 80% कृषि भूमि और 93% जल उपयोग सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है।
यह प्रणाली 237 मिलियन लोगों को प्रभावित करती है और GDP में 25% योगदान देती है।
उन्होंने चेताया कि जब तक पाकिस्तान Cross-Border Terrorism को छोड़ने का ठोस वादा नहीं करता, तब तक भारत नरम नहीं पड़ेगा।
आतंकवाद के खिलाफ एक वैश्विक आंदोलन की ज़रूरत
रक्षा मंत्री ने दुनिया को चेताया कि Terrorism सिर्फ एक Indian Problem नहीं है। यह एक Global Threat है। हम तब तक प्रभावी नहीं हो सकते जब तक piecemeal approach से बाहर नहीं निकलते।
उन्होंने यह भी कहा कि Tagore और Vajpayee जैसे नेताओं की विरासत हमें यह सिखाती है कि नैतिक, एकजुट और वैश्विक प्रतिक्रिया ही एकमात्र उपाय है।
क्या दुनिया तैयार है एक साथ खड़े होने के लिए?
भारत का संदेश स्पष्ट है – Terrorism के खिलाफ Half-hearted Measures अब पर्याप्त नहीं हैं।
राजनाथ सिंह की अपील केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरे वैश्विक समुदाय के लिए है।
अब यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर निर्भर है कि वो इस खतरे को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या वो Real Action के लिए एकजुट होता है।