नई दिल्ली: 2016 की नोटबंदी के बाद मची अफरातफरी के बाद इस बार भी पिछली बार की तरह लोगों को काफी परेशानी हो रही है. यह साफ है कि इस बार रोक तुरंत प्रभाव से नहीं लगाई गई है और इस बार 2000 रुपये के नोट पर आगामी तारीख के बाद प्रचलन पर रोक लगाई जाएगी. ऐसे में इतनी चिंता की बात नहीं है.
क्यों किया गया बंद और क्यों जारी किया गया था
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि 2000 रुपये के नोट लाने के पीछे का कारण यह था कि नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था में नोट को पुन: जल्द से जल्द पहुंचाना जरूरी था. अब बंद भी इसलिए किए जा रहा है कि अब बाजार में जरूरत के हिसाब से करेंसी मौजूद है और हमारे पास करेंसी की कमी नहीं है.
RBI गवर्नर की सलाह- बैंकों में भीड़ न लगाएं
सबसे बड़ी बात जो शक्तिकांत दास ने कही कि इस बार लोगों के पास 4 महीने का समय है. यह जरूरी नहीं है कि सभी लोग जल्दी ही बैंक में पहुंच जाएं और भीड़ लगाएं. अच्छा होगा कि धीरे-धीरे अपने समय के अनुसार लोग नोट बदली के लिए बैंक में जाएं.
मौसम को ध्यान में रखते हुए बैंक करेंगे इंतजाम
आरबीआई का बैंकों को निर्देश दिया है कि आम जनता को काउंटर पर ₹2000 के नोट बदलने की सुविधा सामान्य तरीके से प्रदान की जाएगी, जो कि पहले प्रदान की जा रही थी. बैंकों को सलाह दी जाती है कि गर्मी के मौसम को ध्यान में रखते हुए शाखाओं में छायादार प्रतीक्षालय, पीने के पानी की सुविधा आदि जैसी उचित अवसंरचना उपलब्ध कराएं.
चलन पहले ही हो चुका था कम
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि पहले भी छोटी दुकानों ने कभी भी 2000 रुपए के नोट स्वीकार नहीं किए गए. उन्होंने डिजिटल भुगतान को प्राथमिकता दी. 2,000 रुपये के नोट स्वीकार करने की अनिच्छा थी. यह अब बढ़ सकता है, लेकिन यह कोई नई बात नहीं है.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि 2000 रुपये के नोट 30 सितंबर के बाद वैध मुद्रा के रूप में जारी रहेंगे. लेकिन इसे प्रचलन से बाहर किया गया है. गवर्नर ने कहा कि हमने बैंकों से उनकी मौजूदा प्रक्रिया का पालन करने को कहा है. हमने उन्हें कुछ अलग करने के लिए नहीं कहा है.