शिमला: केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की जांच में हिमाचल के 14 उद्योगों में निर्मित 22 दवाईयां गुणवता मानकों पर खरी नहीं उतर पाई हैं. यह खुलासा केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन द्वारा जारी जुलाई के ड्रग अलर्ट में हुआ है.
हिमाचल में निर्मित जिन 22 दवाओं व इंजेक्शन के सैंपल फेल हुए है उनमें एनीमिया, बुखार, अल्सर, उल्टी, दर्द और सूजन, बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण, खांसी हाई ब्लड प्रेशर, मिर्गी, फंगल इन्फेक्शन, शुगर, गठिया, स्पॉन्डिलाइटिस, एलर्जी के एंटीबायोटिक व मल्टीविटामिन शामिल है.
सब-स्टैंडर्ड दवाओं का निर्माण सोलन, कालाअंब, पावंटा साहिब, नालागढ़, बद्दी व बरोटीवाला में हुआ है. इसके अलावा सिक्किम, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात, चैन्नई, हरियाणा, महाराष्ट्र , उतराखंड व उत्तर प्रदेश स्थित दवा उद्योगों में निर्मित 29 तरह की दवाएं भी सब-स्टैंडर्ड पाई गई है.
जैसा की आप जानते हैं सीडीएससीओ ने जुलाई माह में देश के अलग-अलग राज्यों से 1306 दवाओं के सैंपल एकत्रित किए थे, जिनमें से जांच के दौरान 51 दवाएं सब-स्टैंडर्ड व तीन दवाएं नकली पाई गई हैं, जबकि 1252 दवाएं खरी उतरी हैं. राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने हिमाचल की 14 दवा कंपनियों को नोटिस जारी करते हुए सब-स्टैंडर्ड दवा उत्पादों का पूरा बैच बाजार से तत्काल हटाने के आदेश जारी कर दिए है.
उद्योगों को नोटिस जारी
राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मारवाह ने बताया कि सीडीएससीओ द्वारा जारी जून जुलाई माह के ड्रग अलर्ट में शामिल सभी सबंधित दवा कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए संबंधित बैच का पुरा स्टाक वापस मंगवाने के निर्देश दिए है.
दवा उद्योगों का रिस्क बेस्ड इंस्पेकशन होगा
राज्य दवा नियंत्रक ने निर्देश जारी किए है हिमाचल के जिन दवा उद्योगों के सैंपल बार-बार फेल हो रहे है, उन उद्योगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इस दौरान खामियां पकड़े जाने पर लाइसेंस सस्पेंड कर दिया जाएगा.
दवा निर्माण में गुणवत्ता से समझौता किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं होगा. प्राधिकरण के अधिकारी उन दवा इकाईयों का निरीक्षण कर विस्तृत रिपोर्ट भी सौंपेंगे, जिनके सैंपल बार-बार फेल हो रहे है. हिमाचल में 60 से ज्यादा दवा उद्योगों की रिस्क बेस्ड इंस्पेकशन हो चुकी है.