पिछले दो दिनों से सा़राह के प्रति लोगों की दीवानगी से यह पता चलता है कि इंसान बहुत सी चीज़ें अपने मन में दबाए रखता है. जिसे वह अपनी सोशल इमेज की वजह से ज़ाहिर नही कर पाता. भारत में साराह के वायरल होने से लोगों के बीच एक नई बहस हो रही है. कुछ इसे मज़ेदार बता रहे हैं तो कुछ इसकी आलोचना भी कर रहे हैं.
साराह ऐसे ही लोगों के लिए एक प्लेटफार्म बन रहा है. इससे लोग अपनी पहचान को गुप्त रखकर संदेश भेज सकते हैं. लोगों में साराह का क्रेज़ या यूं कहे कि पहचान छुपाकर अपनी बाते रखने के क्रेज़ का अंदाज़ा इसी बात से लगा सकते हैं कि महज़ कुछ ही समय में इसे 50 लाख से भी ज्यादा लोग डाउनलोड कर चुके हैं.
साराह सही है या ग़लत इस मसले पर मैंने जेएनयू से पीएचडी पास और ऑरकुट के ज़माने से ऑनलाइन बिहेवियर पर शौकिया नज़र रख रहे शारदा प्रसन्ना दास से बात की. शारदा का कहना है कि हम किसी को सही या ग़लत नही ठहरा सकते हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति के तीन दायरे होते हैं. पब्लिक, प्राइवेट और सीक्रेट. पब्लिक वह होता है जब कोई व्यक्ति अपनी बात सबसे शेयर करता है. जबकि प्राइवेट दायरे को बस वो गिने-चुने लोगों में ही शेयर करता है. इन दोनों से हट कर उसकी एक सीक्रेट लाइफ भी होती ही. जो वह समाज में बने अपने इमेज के डर से आमतौर पर किसी से शेयर करने से बचता है. किसी वाज़िब प्लेटफॉर्म के अभाव में, व्यक्ति की सीक्रेट लाइफ़ अंदर ही अंदर मर जाती है.
साराह के ज़रिए लोगों की अपनी सीक्रेट लाइफ शेयर करने की दबी हुई इच्छा सतह पर आ गयी है. इसके अलावा शारदा कहते हैं कि अगर साराह को समाज के दृष्टिकोण से देखे तो कई तरह के सवाल उठने लाज़मी है. लेकिन अगर व्यक्तिगत तौर पर देखा जाए तो एक व्यक्ति अपनी सीक्रेट लाइफ़ को जी रहा होता है. फैसला आप पर है कि आप समाज के हिसाब से सोचते हैं या व्यक्तिगत नज़र से इसको देखते है. साराह को लेकर उनसे जितने ही सवालों पर चर्चा हो रही थी, उतने ही और सवाल निकलकर सामने आ रहे थे. वाकई में इस विषय पर एक बड़ी डिबेट हो सकती है. खैर क्या सही है क्या ग़लत ये बहस तो हमेशा रही है.
साराह में शुरुआत से मेरी कोई रूचि नही थी. क्योंकि इसको लेकर मेरे मन में कई संदेह और सवाल थे. यही वजह थी कि इस डिबेट में दिलचस्पी के बावजूद मैंने साराह ऐप को अभी तक आज़माया नहीं था. लेकिन उस बातचीत और मन में उठ रहे सवालों को जानने के लिए मैंने साराह पर आईडी बनाई. आईडी बनाने के बाद लिंक फेसबुक पर शेयर किया. औरों की तरह मुझे भी अनाम मैसेज आना शुरू हो गए. चूँकि मेरी रूचि इन संदेशों को शेयर करने से ज्यादा इस बहस को और गहराई से जानने में थी तो मैने इस विषय से जुड़ी सारी सूचनायें ध्यान से देखनी कर दीं.
सबसे पहले तो मैंने ध्यान दिया कि जब मैं अपना अकाउंट बना रहा था तो इस पर मेरी ईमेल आईडी पूछी गई. जिसे डालने पर भी मुझे मेरे मेल पर किसी भी तरह की पुष्टि करने का संदेश नही मिला. फेसबुक पर लिंक शेयर करने के बाद जब मुझे संदेश आने लगे. तो एक संदेश कुछ इस तरह था.
Want to know WHO sends you those stupid messages? You can find the name of everyone who messaged you here-> free4now(dot)info!!!
मैं जब इस लिंक पर गया तो हैरान रह गया. मेरे ब्राउज़र ने मुझको चेतावनी दी कि मेरे मोबाइल के दस्तावेज़ कॉपी किये जा रहे हैं. क्या आप इस साइट को इजाज़त देंगे या ब्लॉक करेंगे? मैंने उसे तुरंत ब्लॉक किया.
इसके बाद मैंने साराह के बारे में जानना चाहा. जिसके लिए मैं इस ऐप के ‘अबाउट’ टैब में गया. हैरानी की बात यह है कि वहां हैकिंग से जुड़ी कुछ बात लिखी थी.
Is sarahah a hacker?!
Sarahah doesn’t steal data but websites and apps impersonating sarahah could do that.
इतना पढ़ने के बाद मेरे शक को और हवा मिल गई. यानि कहीं न कहीं हमारे द्वारा भेजे जा रहे डाटा को खतरा ज़रूर है. अब मेरे कुछ सवालों का जवाब मिल गया था. इसलिये अपना अकाउंट डिलीट करने के लिए मैं सेटिंग में गया. लेकिन मुझे कहीं भी अकाउंट डिलीट करने का आप्शन नज़र नही आया. इससे मुझे काफी हैरानी हुई.
खैर मैं अब भी पुख्ता तौर पर नही कह सकता कि मेरा डाटा इस ऐप पर सुरक्षित है या नहीं. सवाल तो यही है कि क्या हम अपनी सीक्रेट लाइफ़ जीने के लिए प्राइवेसी को दाँव पर लगाना पसंद करेंगे.