नई दिल्ली: पिछले महीने कर्नाटक में बीजेपी सरकार ने राज्य में 4% मुस्लिम आरक्षण को खत्म करने का फैसला लिया था. अब कर्नाटक सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है.
कर्नाटक में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने वाले है. चुनाव को ध्यान में रखते हुए बसवराज बोम्मई की सरकार ने कर्नाटक में मुस्लिमों को मिलने वाले 4% आरक्षण को खत्म करने का फैसला लिया था. इस फैसले को चुनावी दृष्टि से काफी अहम माना जा रहा था. मुस्लिमों का आरक्षण खत्म करके उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में शामिल करने का फैसला लिया गया और अल्पसंख्यक समुदाय की श्रेणी से बाहर कर दिया गया. इससे EWS को राज्य में मिलने वाले 10% आरक्षण में अन्य EWS समुदाय के लोगों के साथ ही मुस्लिमों को भी समान रूप से आरक्षण मिलना तय हुआ. कर्नाटक सरकार के इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया है.
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
कर्नाटक सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आदेश दिया है कि कर्नाटक में मुस्लिमों को मिलने वाले 4% आरक्षण को खत्म करने का फैसला तुरंत प्रभाव से लागू नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कर्नाटक सरकार का यह फैसला 9 मई तक प्रभाव में नहीं आएगा. यानी कि जिस दिन राज्य में वोट डाले जाएंगे उससे एक दिन पहले तक. 9 मई के बाद से ही कर्नाटक सरकार का यह फैसला प्रभाव में आएगा.
मुस्लिम आरक्षण पर लिया गया था यह फैसला
पिछले महीने कर्नाटक में मुस्लिमों को मिलने वाले 4% आरक्षण को खत्म करते हुए इसके बंटवारे का फैसला लिया गया. कर्नाटक सरकार ने वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय को 4% में से 2-2% अतिरिक्त आरक्षण देने का फैसला लिया. इस फैसले के तहत वोक्कालिगा समुदाय को मिलने वाला आरक्षण 4% की जगह बढ़कर 6% हो गया और लिंगायत समुदाय को मिलने वाला आरक्षण 5% की जगह बढ़कर 7% हो गया. पर यह फैसला अब 9 मई के बाद ही प्रभाव में आएगा.
जानिए इससे BJP को क्या फायदा?
मुस्लिम आरक्षण को खत्म करके वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय के आरक्षण को बढ़ाने का फैसला बीजेपी ने आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनाव को देखते हुए लिया था. दोनों समुदाय राज्य में राजनीतिक रूप से प्रभावी हैं. ऐसे में इनके आरक्षण को बढ़ाने से बीजेपी का वोट बैंक बढ़ेगा और कर्नाटक विधानसभा चुनाव में फायदा भी मिलेगा. इसी बात को ध्यान में रखकर बीजेपी ने यह फैसला लिया था.