नई दिल्ली. अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की दूसरी वर्षगांठ को ऐतिहासिक और भव्य रूप देने के लिए धार्मिक, प्रशासनिक और सुरक्षा स्तर पर व्यापक तैयारियां की गई हैं। प्राण प्रतिष्ठा द्वादशी के अवसर पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अन्नपूर्णा मंदिर में ध्वजारोहण किया और मुख्य यजमान के रूप में पूजा-अर्चना में भाग लिया। इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी ने कार्यक्रम को और खास बना दिया।
धार्मिक कार्यक्रमों का विस्तृत स्वरूप
राम मंदिर परिसर में चल रहे अनुष्ठानों में वैदिक मंत्रोच्चार, हवन, विशेष आरती और रामायण पाठ शामिल हैं। देश के विभिन्न हिस्सों से आए संत-महात्मा और आचार्य इन अनुष्ठानों का संचालन कर रहे हैं। मंदिर प्रशासन के अनुसार, हर दिन सुबह से देर रात तक दर्शन और पूजा का क्रम जारी है, ताकि अधिक से अधिक श्रद्धालु रामलला के दर्शन कर सकें।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़, व्यवस्थाएं चाक-चौबंद
प्राण प्रतिष्ठा की दूसरी वर्षगांठ के मद्देनज़र अयोध्या में श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। ट्रस्ट के अनुसार, 5 से 6 लाख भक्तों के पहुंचने की संभावना को देखते हुए दर्शन पास, कतार प्रबंधन, पेयजल, चिकित्सा सहायता और विश्राम स्थलों की व्यवस्था की गई है। रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और प्रमुख मार्गों पर सहायता केंद्र भी बनाए गए हैं।
सुरक्षा व्यवस्था अभूतपूर्व
वीवीआईपी आगमन और भारी भीड़ को देखते हुए अयोध्या में सुरक्षा को अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ा दिया गया है।
शहर को 5 जोन और 10 सेक्टर में विभाजित किया गया है
करीब 3,000 अतिरिक्त पुलिसकर्मी तैनात
PAC और अर्धसैनिक बलों की 5 कंपनियां मौके पर
CCTV, ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम से निगरानी
संवेदनशील स्थानों पर क्विक रिस्पॉन्स टीमें सक्रिय
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए कंट्रोल रूम 24 घंटे सक्रिय है।
अयोध्या में उत्सव का माहौल
पूरी अयोध्या नगरी को भव्य सजावट से सजाया गया है। राम मंदिर से लेकर प्रमुख सड़कों तक रोशनी, फूलों और धार्मिक प्रतीकों से वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। श्रद्धालुओं के लिए भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी, जिसे भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय माना जाता है। दूसरी वर्षगांठ पर आयोजित यह आयोजन न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि अयोध्या को वैश्विक धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में भी स्थापित कर रहा है।
