सिरमौर(शिलाई). ना खुदा मिला न ही बिसाले सनम, यह कहावत राजस्व विभाग पर पूरी तरह चरितार्थ होती है! भले ही देश की सर्वोच्च अदालत लोगो को शीघ्र व सुलभ न्याय देने की बात करती हो लेकिन जिला सिरमोर के उपमंडल शिलाई में लोगों को मामूली कोर्ट की पेशी के लिए भी 150 किलो मीटर से अधिक का सफर तय कर पावंटा साहिब आना पड़ता है. करीब ३ दशकों से शिलाई का कोर्ट पावंटा साहिब मे ही लग रहा है. पावंटा साहिब में कोर्ट नम्बर 2, वर्ष 1987 में शिलाई के लिए मंजूर हुआ था.
कोर्ट के लिये, राजस्व विभाग ने अब तक नहीं दी ज़मीन
प्रदेश सरकार ने वर्षों पहले शिलाई मे न्यायालय के लिए बजट का प्रावधान कर रखा है जिसके लिए हाईकोर्ट व प्रदेश सरकार ने राजस्व विभाग को भूमि चिन्हित करने के निर्देश दिए थे. लेकिन विभाग की बेरुखी के चलते 30 वर्षों बाद भी कोर्ट के लिए भूमि का चयन नहीं हो पाया है. सरकार ने शिलाई में कोर्ट के लिए बजट का प्रावधान भी कर रखा है मगर जमीन उपलब्ध न होने के कारण न्यायालय भवन का कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है. सूत्रों की मानें तो स्थानीय राजनीति के चलते राजस्व विभाग जमीन का चयन नहीं कर पा रहा है.
आश्चर्य तो यह है कि राजस्व विभाग के पास कई बीघा जमीन खाली पड़ी है लेकिन सूत्र बताते हैं कि राजस्व विभाग कि भूमि के लिए स्थानीय राजनेताओं द्वारा प्रशासन पर दबाव बनाया गया कि यह भूमि कोर्ट के नाम स्थानांतरित न की जाए. और यह शिलाई का दुर्भाग्य है कि यहाँ अधिकारी भी ऐसे ही आते है जो क्षेत्र के निठल्ले राजनेताओं के इशारे पर ही कार्य करते है. जैसे इनके कहने से ही सभी अधिकारियों को नौकरी मिली हो.
साल 2011 में सड़कों पर उतरे थे लोग
शिलाई में कोर्ट की सुविधा उपलब्ध हो, इसके लिए 16 सितम्बर 2016 को सैकड़ों लोग सडकों पर उतरे थे. इस आंदोलन को दबाने के लिए करीब 4 दर्जन से अधिक लोगों के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किये थे. जिसकी ‘पेशी’ आज तक स्थानीय लोग भुगत रहे है. आंदोलन के समय तत्कालीन सरकार ने शिलाई में कोर्ट जल्द शुरू करने का आश्वासन दिया था. जिससे लोगो को आस बंधी थी की अब कम से कम उन्हें पेशियों के लिए धक्के नहीं खाने पडेंगे.
वैकल्पिक व्यवस्था
जानकारी के मुताबिक पूर्व भाजपा सरकार ने वर्ष 2012 में पावंटा से ज्यूडिशियल कोर्ट को शिलाई में शीघ्र स्थानांतरित करने के निर्देश दिए थे. प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने आदेश दिए थे कि जब तक कोर्ट का अपना भवन नहीं बनता है तब तक निजी भवन में वैकल्पिक व्यवस्था कि जाए ताकि शिलाई की 21 ग्राम पंचायत के लोगों को न्याय पाने के लिये इतना लंबा सफर न तय करना पड़े!
गौरतलब है कि सरकार बदलने के बाद ही पूर्व सरकार के जारी किये गए आदेश भी बदल गए और 5 सालों से शिलाई में कोर्ट की कोई सुध नहीं ली गयी. न ही किसी तरह की बैकल्पिक व्यवस्था शुरू करवाई गयी.