मंडी. बासठ की लड़ाई में चीन से देश की सरहदों की रक्षा करते हुए, दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले तीन डोगरा रेजीमेंट से सेवानिवृत लाभ सिंह गुलेरिया का देहांत हो गया. 82 वर्षीय लाभ सिंह गुलेरिया ने अपने पैतृक गांव कैहनवाल में अंतिम सांस ली. तीन डोगरा रेजीमेंट में 1952 में भर्ती हुए लाभ सिंह गुलेरिया, पुत्र किशन सिंह ने चीन के साथ हुए 1962 के युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करने में अहम भूमिका निभाई तथा उसके बाद 1965 और 1971 में पाकिस्तान के साथ हुई जंग में भी मुख्य भूमिका अदा की.
सेना में उनके अदम्य साहस और कार्य कुशलता के चलते उन्हें सेना, शौर्य और रक्षा मैडल सहित 12 मैडल से सम्मानित किया गया. सेना से सेवानिवृति के बाद वह हिमाचल पुलिस में भर्ती हुए तथा वहां भी ईमानदारी और कर्मठता से अपनी सेवाएं प्रदान की. पुलिस विभाग से सेवानिवृति के बाद वह अपने पैतृक गांव में रहे तथा गौ और गरीब सेवा में लगे रहे. लाभ सिंह गुलेरिया 1962, 65 व 71 के युद्ध का पूरा विवरण सुनाते थे. वह युवाओं को अक्सर सत्य, अहिंसा और देश प्रेम के बारे में प्रेरित करते हुए उन्हें सेना में भर्ती होने की सलाह देते थे.
उनका एक बेटा प्रवीण गुलेरिया मुख्य अध्यापक है जबकि उनकी बेटी प्रिंसीपल के पद से सेवानिवृत हो चुकी हैं. गत सप्ताह उन्हें सीने में दर्द उठा. उसका इलाज भी चल रहा था. अचानक उनकी तबियत बिगड़ गई और उनका देहांत हो गया. उनके देहांत पर सांसद रामस्वरुप शर्मा, उर्जा मंत्री अनिल शर्मा, जिला भाजपा अध्यक्ष रणवीर सिंह, पूर्व मंडलाध्यक्ष श्याम लाल ठाकुर सहित कई अन्य समाजसेवी संगठनों व पूर्व सैनिक लीग के अध्यक्ष बिग्रेडियर खुशहाल ठाकुर, सूबेदार शेर सिंह ठाकुर ने गहरा शोक प्रकट किया.