नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बुधवार को साफ किया कि भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के निजी दस्तावेज़ों को प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (PMML) से “गायब” नहीं कहा जा सकता। सरकार ने कहा कि इन पत्रों का पता है और यह पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास हैं।
यह स्पष्टीकरण उस दिन आया जब कांग्रेस ने केंद्र से माफी की मांग की थी। मामला उस समय उठा जब संसद में केंद्र सरकार के जवाब में कहा गया कि PMML से कोई दस्तावेज़ “गायब” नहीं है।
क्या है मामला?
केंद्र के संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने बीजेपी सांसद संभित पात्रा के सवाल के लिखित जवाब में कहा कि “देश के पहले प्रधानमंत्री से संबंधित कोई दस्तावेज़ PMML से गायब नहीं है।”
इसके बाद मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कांग्रेस के दावों को खारिज करते हुए बताया कि सोनिया गांधी ने 2008 में खुद इन दस्तावेज़ों को वापस लेने का अनुरोध किया था।
मंत्रालय के अनुसार:
“29 अप्रैल 2008 को श्रीमती सोनिया गांधी के प्रतिनिधि एम. वी. राजन ने पत्र भेजकर अनुरोध किया कि वह पंडित नेहरू के सभी निजी पारिवारिक पत्र और नोट्स वापस लेना चाहती हैं। इसके अनुसार 51 कार्टन नेहरू पत्रों के PMML से सोनिया गांधी को भेजे गए थे।”
सोनिया गांधी को पत्र लौटाने का अनुरोध
संस्कृति मंत्रालय ने कहा कि PMML लगातार सोनिया गांधी के कार्यालय के संपर्क में रहा है और पत्रों की वापसी के लिए कई बार अनुरोध किया गया, जिनमें जनवरी और जुलाई 2025 के पत्र शामिल हैं।
मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इन दस्तावेज़ों को “गायब” नहीं कहा जा सकता क्योंकि उनके स्थान की जानकारी है और इन्हें राष्ट्रीय दस्तावेज़ी विरासत का हिस्सा माना जाता है।
“नेहरू पत्र PMML से ‘गायब’ नहीं हैं। ये दस्तावेज़ भारत के पहले प्रधानमंत्री से संबंधित हैं और राष्ट्रीय दस्तावेज़ी विरासत का हिस्सा हैं, निजी संपत्ति नहीं। इनकी PMML में सुरक्षा और शोधार्थियों व नागरिकों को उपलब्धता बेहद महत्वपूर्ण है।”
