नई दिल्ली. न्यायाधीशों की नियुक्तियों के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट का ताज़ा फैसला देश की न्याय व्यवस्था के लिये एक ऐतिहासिक तदम साबित होने जा रहा है. सरकार को साथ लगातार इस मामले में तनातनी झेल रही सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कॉलेजियम के नियुक्तियों और स्थानांतरण के निर्णयों को जनता के सामने खोलने का फैसला ले लिया है.
कॉलेजियम के इस ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट के 5 वरिष्ठ न्यायाधीश शामिल रहे. इस बाठक में न्यायाधीश जे चेलामेश्वर, रंजन गोगोई, मदन बी लोकुर, कुरियन जोसेफ और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिसरा ने हिस्सा लिया. दीपक मिश्रा ने फैसला दिया, “ कॉलेजियम व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिये हर उम्मीदवार की उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के पद पर प्रोन्नति और स्थानांतरण के फैसलों को कारणों सहित सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाईट पर डाला जायेगा.”
इसके अतिरिक्त कॉलेजियम के आधिकारिक बयान के हवाले से यह भी कहा गया कि यह प्रस्ताव कॉलेजियम व्यवस्था में पारदर्शिता के साथ-साथ गोपनीयता बरतने के लिहाज़ से भी लिया गया है. कॉलेजियम ने अपने फैसले को अमली जामा पहनाते हुए अपने पहले कदम के तौर पर केरल उच्च न्यायालय के 3 न्यायाधीशों की नियुक्ति और मद्रास उच्च न्यायालय के 6 न्यायाधीशों की नियुक्ति के फैसले को अपनी वेबसाइट पर डाल दिया है.
इस युगांतकारी फैसले के पीछे कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जयंत पटेल के स्थानांतरण और उसके बाद उनके इस्तीफे का घटनाक्रम है. इसी घटना के बाद कॉलेजियम व्यवस्था पर सवाल उठने शुरू हो गये थे और इसमे पारदर्शिता लाये जाने की मांग की जा रही थी.