नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के जामनगर में रिलायंस फाउंडेशन द्वारा चलाए जा रहे पशु बचाव और पुनर्वास केंद्र वंतराः को क्लीन चिट दे दी है। विशेष जांच दल (SIT) की रिपोर्ट की समीक्षा के बाद अदालत ने स्पष्ट किया कि वंतराः सभी संबंधित कानूनों और नियमों का पालन कर रहा है। अवैध पशु खरीद, बंधन में प्रताड़ना और वित्तीय अनियमितताओं जैसे आरोपों को कोर्ट ने आधारहीन मानते हुए खारिज कर दिया।
वंतराः पर लगे थे गंभीर आरोप
SIT का गठन 25 अगस्त को विभिन्न एनजीओ, वन्यजीव संगठनों और मीडिया रिपोर्ट्स द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए किया गया था। आरोपों में हाथियों सहित कई जानवरों को अवैध रूप से लाने, उन्हें अपर्याप्त सुविधाओं में रखने और संगठन में वित्तीय अनियमितताओं का उल्लेख किया गया था।
लेकिन SIT की विस्तृत जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच – न्यायमूर्ति पंकज मिटल और न्यायमूर्ति पी बी वराले – ने पाया कि आरोपों को समर्थन देने वाला कोई ठोस सबूत नहीं है। कोर्ट ने कहा, “वंतराः सभी कानूनों का पालन कर रहा है, इसे बेवजह बदनाम न करें।”
आधारहीन आरोपों से सावधान रहने की चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी C R जया सुखिन द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें कैद में रखे गए हाथियों को उनके मालिकों को लौटाने के लिए एक निगरानी समिति बनाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि बिना प्रमाण के लगाए गए सामान्य आरोपों पर विचार नहीं किया जा सकता, विशेषकर जब पशुओं का अधिग्रहण वैध तरीके से किया गया हो।
वंतराः – पशु संरक्षण का आदर्श मॉडल
अनंत अंबानी, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और रिलायंस फाउंडेशन के निदेशक द्वारा स्थापित वंतराः जामनगर रिफाइनरी परिसर की 3,000 एकड़ हरित भूमि में फैला है। यहाँ हाथियों के लिए विशेष केंद्र है, जिसमें आधुनिक आश्रय, हाइड्रोथेरेपी पूल और गठिया उपचार के लिए बड़े आकार का हाथी जकूज़ी शामिल है।
साथ ही, 650 एकड़ में फैला रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन सेंटर सर्कस और तंग चिड़ियाघरों से बचाए गए जंगली जानवरों का सुरक्षित आश्रय है। वर्तमान में वंतराः में 200 से अधिक हाथी, 300 से ज्यादा बड़े शिकारी जैसे बाघ, शेर, जगुआर, तेंदुए, 300 से ज्यादा शाकाहारी जानवर जैसे हिरण और 1,200 से अधिक सरीसृप जैसे मगरमच्छ, सांप और कछुए मौजूद हैं।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने बढ़ाई वंतराः की विश्वसनीयता
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला वंतराः को न केवल एक कानून का पालन करने वाला संगठन साबित करता है, बल्कि पशु कल्याण और संरक्षण के क्षेत्र में इसकी भूमिका को और मजबूत करता है। रिलायंस फाउंडेशन की यह पहल भारत में वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को नई दिशा दे रही है।