नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर के सभी नगरों में आवारा कुत्तों को प्रतिबंधित करने का आदेश दिया है। यह फैसला उस वक्त आया जब कोर्ट ने एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया, जिसमें दिल्ली में 6 साल की बच्ची की छवि शर्मा की रेबीज से मौत की खबर थी।
सुप्रीम कोर्ट में बढ़ते कुत्तों के हमले के मामलों पर चिंता
जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने इसे “गंभीर स्थिति” बताया और साफा ने कहा कि यह कदम जनहित में है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह फैसला जनसुरक्षा के खिलाफ है और इसमें अदालत की अवमानना करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
कुत्तों के आश्रय और जानवरों की देखभाल की नई व्यवस्था
दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, फ़रीदाबाद में तुरंत प्रोफेशनल डॉग शेल्टर बनाने का ऑर्डर दें आश्रयों में नसबंदी, टीकाकरण और दीर्घकालिक देखभाल की सुविधासीसीटीवी निगरानी ताकि कोई भी आवारा कुत्ता न जाए, हेल्पलाइन नंबर ताकि कुत्ते के काटने की घटनाओं की तुरंत सूचना दी जा सके।
“हम बच्चों की जान जोखिम में नहीं डाल सकते”
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के आदेश का समर्थन करते हुए कहा कि कुछ कुत्ते प्रेमियों के लिए सार्वजनिक सुरक्षा खतरे में नहीं डाली जा सकती।
अनुच्छेद 32, 226 एवं 142 का प्रयोग किया गया
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला भारत के संविधान के अनुच्छेद 32, 226 और 142 के तहत दिया, जिससे वह मौलिक अधिकारों की रक्षा कर सके।
बढ़ते आंकड़े चिंता का कारण
दिल्ली नगर निगम के अनुसार, जनवरी-जून 2025 के बीच:
49 रेबीज के मामले
जानवरों के काटने के 35,198 मामले
इससे पहले भी मीडिया रिपोर्ट्स में बच्चों और बुजुर्गों पर आवारा कुत्तों के हमले की कई घटनाएं सामने आई हैं।
अगला कदम
अधिकारियों को 8 दिनों में विस्तृत कार्ययोजना जमा करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा।