नई दिल्ली. देश के वस्त्र उद्योग में पूर्वोत्तर राज्यों में चल रहे हथकरघे अपनी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं, जिसका नतीजा है कि यहां पर बड़ी संख्या में रोजगार भी पैदा हो रहा है. केन्द्रीय वस्त्र मंत्री स्मृति जुबिन इरानी ने कहा कि वस्त्र मंत्रालय द्वारा पूर्वोत्तर राज्यों में कपड़ा क्षेत्र के विकास एवं आधुनिकीकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है.
उन्होंने कहा कि इससे पूर्वोत्तर क्षेत्र की विशेषकर महिलाओं के लिए और ज्यादा रोजगार सृजित होंगे तथा इसके फलस्वरूप पूर्वोत्तर राज्यों में सड़कों, बिजली एवं जलापूर्ति जैसी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं में वृद्धि होगी. इसके साथ ही कार्यालयों के निर्माण कार्य में भी तेजी आएगी.
वर्ष 2009-10 की हथकरघा गणना के अनुसार देश भर में 23.77 लाख हथकरघे हैं जिनमें से 16.47 लाख हथकरघे (69.28 प्रतिशत) पूर्वोत्तर क्षेत्र में हैं. पूर्वोत्तर क्षेत्र के सात राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, नगालैंड, मिजोरम और त्रिपुरा में सिले-सिलाए परिधान तैयार करने वाली 21 विनिर्माण इकाइयां हैं.
इन इकाइयों ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में कपड़ा उद्योग को काफी बढ़ावा दिया है और इसके साथ ही पूर्वोत्तर क्षेत्र से सिले-सिलाए परिधानों के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है. इस क्षेत्र में रेशम उद्योग के विकास के लिए 690 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया है.
दो वर्षों की रिकॉर्ड अवधि में पूर्वोत्तर क्षेत्र के सातों राज्यों में से प्रत्येक राज्य में तीन फैक्टरियां पूरी तरह से परिचालन में आ गई हैं. हर फैक्टरी में तकरीबन 1200 लोग कार्यरत हैं जिनमें से ज्यादातर महिलाएं हैं. ये फैक्टरियां स्थानीय उद्यमियों के स्वामित्व में हैं और विभिन्न एजेंसियां जैसे कि भारतीय वस्त्र उत्पादक संघ, अरविन्द मिल्स और परिधान निर्यात संवर्धन परिषद इन इकाइयों को सिले-सिलाए परिधानों के लिए ऑर्डर दे रही हैं.
मंत्रालय का मुख्य उद्देश्य वस्त्र उत्पादन के कुल मूल्य में वृद्धि करना, तकनीकी उन्नयन, क्षमता में सुधार, घरेलू बाजारों तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करना और कलस्टरों की स्थापना को बढ़ावा देना है. वस्त्र मंत्रालय ने सिले-सिलाए परिधान तैयार करने वाली प्रत्येक इकाई, जिसे ‘अपेरल गारमेंट यूनिट (एजीयू)’ कहते हैं, को 18 करोड़ रुपये की धनराशि मुहैया कराई गई है.
राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम ने इन सातों राज्यों में इकाइयों का निर्माण किया है. यहां तैयार किए जाने वाले परिधानों का निर्यात न केवल देश के अन्य हिस्सों, बल्कि पड़ोसी देशों को भी किया जा रहा है क्योंकि कुछ पूर्वोत्तर राज्यों ने बांग्लादेश और म्यांमार के साथ व्यापार संबंध स्थापित किए हैं.