कांगड़ा(धर्मशाला). राईट-टू-एजुकेशन फ़ोरम के राष्ट्रीय संयोजक अंबरीश राय ने धर्मशाला में पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि देश में सरकारी स्कूलों की दशा दयनीय होती जा रही है और सरकारें इस ओर कोई ध्यान नही दे रही.
उन्होंने कहा कि देश भर में दो लाख के करीब सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं, क्योंकि सरकार का मानना है कि बच्चे नहीं है. उन्होंने केंद्रीय सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार एक तरफ यह दावे करती है कि भारत विश्व गुरु है, परंतु इस विश्व गुरु के सरकारी स्कूलों में बच्चे नही आ रहे, जिस कारण स्कूल बंद हो रहे हैं.
उन्होंने कहा कि देश की सकल विकास दर का 6 प्रतिशत शिक्षा पर व्यय होना चाहिए,जो कि सरकार नही कर रही. उन्होंने बताया कि 1966 में कोठारी आयोग ने भी यह सिफ़ारिश की थी, परंतु सरकारों ने शिक्षा में गुणात्मक सुधार की ओर कोई ध्यान दिया. उन्होंने इस दौरान जानकारी देते हुए बताया कि देश में लाखों स्कूल मात्र एक शिक्षक के सहारे चल रहें हैं, जो कि शिक्षा में गुणात्मक सुधार की बजाए शिक्षा को ग़र्क की ओर ले जाते हुए दर्शाता है. उन्होंने कहा कि सरकारों और राजनीतिक दलों को शिक्षा के प्रति गंभीर होने की आवश्यकता है.
अंबरीश राय ने बताया कि प्रदेश में विधान सभा के चुनावों का बिगुल लगभग बज चुका है और आरटीई फ़ोरम द्वारा 23 सिंतबर को डीआरडीए सभागार में आयोजित स्कूल प्रबंधन समितियों के पदाधिकारियों के राज्य स्तरीय अधिवेशन में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि इन चुनावों के दौरान शिक्षा पंचायतों के आयोजन करवाए जाएंगे. स्कूल प्रबंधन समितियों के लोग व पंचायत प्रतिनिधि विभिन्न दलों के प्रत्याशियों को आमंत्रित कर संवाद करेंगे तथा चुनावों में उनके द्वारा जारी होने वाले घोषणा पत्र में शिक्षा को मुख्य मुद्दे के रुप में शामिल करवाया जाएगा.
इसके अलावा 25 प्रतिशत बजट शिक्षा के लिए व्यय किए जाने के अलावा निजी स्कूलों में गरीब, व निम्न स्तर के बच्चों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानो के अनुसार 25 प्रतिशत नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित करवाए जाने की बात की जाएगी. इस दौरान आरटीई फ़ोरम हिमाचल की संयोजिका आत्रेयी सेन ने कहा कि निजि स्कूलों में मनमाने ढंग से फ़ीस ली जाती है, किताबों व वर्दियों में धन एकत्रित किया जाता है, इसके बावजूद भी अविभावक अपने बच्चों को निजि स्कूलों में भेजने के लिए मजबूर हैं. क्योकि सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की कमी, अध्यापकों की अन्य गतिविधियों में व्यस्तता आदि के कारण गुणात्मक शिक्षा नही मिल पा रही है.
चाइल्ड लाइन कांगड़ा के निदेशक एवं आरटीई फ़ोरम के सह संयोजक रमेश मस्ताना ने इस दौरान कहा कि समुदाय व स्कूल प्रबंधन समितियों के साथ निरंतर जुड़ाव रखा जाएगा तथा शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए हर संम्भव प्रयास किए जाएंगे. उन्होंने बताया 23 सितंबर को 15 सूत्री मांगपत्र प्रदेश सरकार को शहरी विकास एवं आवास मंत्री सुधीर शर्मा के माध्यम भेजा है, ताकि प्रदेश सरकार भी शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार लाने के लिए उचित कदम उठाए.