वडोदरा. जिले को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है. विश्वामित्र नदी को साफ करने की कवायद भी हो रही है. इसे रिवर फ्रंट के तौर पर विकसित करने की योजना है. पिछले तीन सालो में अलग-अलग प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिये दर्जन भर से ज्यादा स्लम कॉलोनी को खाली करवाया गया है. सरकार के दावों के मुताबिक विस्थापित लोगों को पक्का मकान आवंटित किया गया है. लेकिन विरोधी ‘गरीबी हटाने के नाम पर गरीबों को हटाने’ का आरोप लगा रहे हैं.
अब भी कई परिवार है बेघर
जिन स्लम को खाली करवाया गया है उनमें कल्याण नगर भी एक है. वडोदरा म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के मुताबिक नवम्बर 2014-15 के बीच कल्याण नगर के 1,900 घरों को तोड़ा गया. यहीं पर विश्वामित्र रिवर फ्रंट का विकसित होना है. स्थानीय लोगों के मुताबिक विस्थापित होने वाले परिवारों की संख्या इससे कहीं अधिक है. इनलोगों को हटाकर शहर के अंतिम छोर प्रतापनगर, मानेजा, किसनबाड़ी, तरसाली आदि जगहों पर बसाया गया है. स्थानीय लोगों के मुताबिक अब भी कई परिवार बेघर हैं.
कल्याण नगर में कई समुदाय के लोग रहते थे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यहां से विस्थापित होने वाले 80 फीसदी एक ही समुदाय से आते थे. स्थानीय लोगों ने स्लम में रहने वाले समुदाय विशेष को मुहल्ले में बसाने का विरोध किया जिसके बाद कई लोगों को घर नहीं मिल पाया था.
भेजा गया है नोटिस
कल्याण नगर में अब सिर्फ ‘भैया चाली’ ही बच गया है. यहां उत्तर प्रदेश और बिहार से आकर बसने वाले 200 परिवार रहते हैं. इसी के बगल में गोरखा लोगों का स्लम ‘छोटा नेपाल’ भी है. इन लोगों को भी यहां से हटाने की तैयारी है. सर्वे हुआ है. लेकिन अबतक वडोदरा नगर निगम ने नोटिस नहीं भेजा है.
दूसरी जगह आएगी दिक्कत
भैया चाली में तीन पीढ़ी के साथ रह रहे रमानंद(65) मजदूरी करते हैं. कहते हैं, “हम यहां पांच साल की उम्र से रह रहे हैं, हम सबने बड़ी मुश्किल से इस जगह को रहने लायक बनाया है, हमारी रोजी-रोजी यहीं है, हमें अगर दूसरे जगह पर भी बसाया जाता है तो इससे हमारी रोजी-रोटी छिन जायेगी.”
यहां रहने वाले चंद्रेश भाई गुजराती हैं. वे कहते हैं, ”हम घर का किस्त भी भरने को तैयार हैं, बस हम यह जगह नहीं छोड़ना चाहते हैं, जहां लोगो को बसाया जा रहा है, वहां पानी की दिक्कत है और रोजी-रोटी के लिये 30 किलोमीटर चलकर इधर ही आना पड़ेगा. हमारे घर की औरते आसपास के घरों में काम करने जाती हैं, जिससे हमारा काम चल जाता है.”
तरसाली में विस्थापित किये गए नवीन भाई बताते हैं कि इस बार पूरी कॉलोनी ने वोट नहीं करने का निर्णय किया है. 3 से 4 दिन में पानी आता है, कई बार हफ्तों पानी नहीं आता है. घर तक जाने का रास्ता अबतक बन नहीं पाया है. उनके भाई भी उनके साथ ही रहते हैं.
भैया चाली के ही एक अन्य युवक रमेश बताते हैं कि कल्याण नगर के लोगों को जहां बसाया गया है. वहां पानी की दिक्कत है. कहते हैं, “बड़े लोगों के घर के आगे पानी के लिए लाइन में लगना पड़ता है. ठेकेदार दो दिन पर मोटर जलने की बात करता है. लोगों की नौकरी छूट गयी है. इधर आने-जाने में ही उनका वक्त और पैसा चला जाता हैं.”
मकान देने की बात कही थी
भैया चाली में रहने वाले चंद्रेश भाई बताते हैं कि कांग्रेस पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव से पहले सबसे फार्म भरवाये और सरकार आने पर यहीं मकान देने की बात की थी. “कांग्रेस सरकार नहीं बनी और सारे फार्म विश्वामित्र नदी में फेंक दिये गये.”
घरों को बचाने के लिए करेंगे मतदान
रमानंद बताते हैं कि इस बार पूरा चाली अपने घरों को बचाने के लिये मतदान करेंगे. वोट किसे करेंगे यह मिलकर तय करेंगे. वे अंगुली पर अपने घर के कुल वोटर को गिनने लगते हैं. चंद्रेश भाई खुद से पूछते हैं, “सामने बन रहा मकान किसे मिलेगा?”