नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की वार्षिक बैठक में भाग लेने के लिए चीन दौरे पर जाएंगे। यह दौरा भारत-चीन संबंधों में एक संभावित मोड़ माना जा रहा है, जो हाल के वर्षों में, खासकर पूर्वी लद्दाख में सीमा तनाव के बाद, तनावपूर्ण रहे हैं।
विदेश मंत्रालय (MEA) ने शुक्रवार को बताया कि पीएम मोदी जापान के दो-दिन के दौरे के बाद 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन के टियानजिन शहर में रहेंगे।
यह पीएम मोदी का चीन का पहला दौरा होगा, जो सात साल में हो रहा है और क्षेत्रीय और वैश्विक परिस्थितियों में इसके महत्व को दर्शाता है।
अमेरिकी टैरिफ के बीच पीएम मोदी का दौरा महत्वपूर्ण
पीएम मोदी का दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत अमेरिकी व्यापार दबाव का सामना कर रहा है। अमेरिका ने भारतीय आयात पर व्यापक टैरिफ लगाए हैं, खासकर रूस से तेल की खरीद को लेकर। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ को दोगुना कर 50% तक बढ़ा दिया है।
इन चुनौतियों के बीच भारत विभिन्न देशों के साथ नए समझौतों के माध्यम से व्यापार संबंधों में विविधता लाने की दिशा में सक्रिय है। SCO शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी की भागीदारी क्षेत्र में भारत की कूटनीतिक पहुँच और आर्थिक रणनीति को और मजबूत करने की उम्मीद है।
पीएम मोदी ने चीनी विदेश मंत्री से की बैठक
मंगलवार को पीएम मोदी ने नई दिल्ली में चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। बैठक के बाद पीएम मोदी ने बताया कि भारत और चीन अपने कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने में ‘स्थिर प्रगति’ कर रहे हैं।
पीएम मोदी ने X पर लिखा:
“विदेश मंत्री वांग यी से मिलकर खुशी हुई। काज़ान में पिछले साल राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मेरी मुलाकात के बाद, भारत-चीन संबंधों में स्थिर प्रगति हुई है, जो दोनों देशों के हित और संवेदनाओं के सम्मान पर आधारित है। टियानजिन में SCO शिखर सम्मेलन के दौरान हमारी अगली बैठक का इंतजार है। भारत और चीन के बीच स्थिर, पूर्वानुमेय और रचनात्मक संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक शांति तथा समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।”