जयपुर: राजस्थान में मुख्यमंत्री का चेहरा तय करने की जद्दोजहद का पटाक्षेप आज हो जाएगा. चुनाव नतीजों को आए आज 9 दिन हो गए हैं. ऐसे में आज प्रदेश को नया मुख्यमंत्री मिलने की उम्मीद है. भाजपा ने सभी विधायकों को जयपुर में रहने के निर्देश दिए हैं.
दोपहर 1 बजे भाजपा मुख्यालय में विधायक मिलेंगे उसके बाद शाम 4 बजे विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री का नाम तय हो जाएगा. इस पूरे प्रोसेस की निगरानी के लिए भाजपा ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, विनोद तावड़े और सरोज पांडे को पर्यवेक्षक बना के भेजा है.
कौन बनेगा CM?
मुख्यमंत्री तो आज मिल जाएगा, लेकिन आज सुबह तक भी इस बात का कोई संकेत नहीं है कि वो होगा कौन? भाजपा ने छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में तमाम सियासी पंडितों के विश्लेषणों को धराशाई करते हुए नए चेहरों को मौका दिया है. उनमें भी वो जिनकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी. क्या राजस्थान में भी ऐसा संभव हो सकता है? हालांकि यहां एक दर्जन नामों की चर्चा पहले से ही चल रही है.
विधायक या गैर-विधायक और दो डिप्टी CM?
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में CM और डिप्टी CM विधायकों में से ही बनाये गए हैं. ऐसे में राजस्थान में भी विधायकों में से ही मुख्यमंत्री का चेहरा हो सकता है. वहीं दो डिप्टी CM भी हो सकते हैं. जिनमें लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जातिगत समीकरणों का ध्यान रखा जाएगा.
जातिगत समीकरणों को साधने की होगी कोशिश
MP में OBC और छत्तीसगढ़ में ST के मुख्यमंत्री बने हैं. अगर इसी पैटर्न को फॉलो किया जाएगा तो राजस्थान में अगड़ी जाति या अनुसूचित जाति में से कोई मुख्यमंत्री का चहेरा हो सकता है. SC के चहरे के तौर पर भाजपा के पास अर्जुनराम मेघवाल हैं. लेकिन उन्होंने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा. मेघवाल के जरिये भाजपा दलित वोटरों को साध सकती है. इस कॉम्बिनेशन में दो डिप्टी CM जाट, सवर्ण या आदिवासी में से होना संभावना है.
मालूम हो कि प्रदेश की करीब 65 विधानसभा सीट ऐसी हैं, जहां जाट मतदाता जीत-हार में अहम किरदार अदा करते है. वहीं प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में से 8 सीटों पर जाटों का दबदबा है. गुर्जर और मीणा समुदायों की बात करें तो इन दो जातियों को इस कॉम्बिनेशन में शामिल करने से भाजपा दक्षिण-पूर्वी राजस्थान के वोटरों को साधने में कामयाब हो सकती है. प्रदेश की कम से कम 7 लोकसभा सीटों पर इन जातियों का असर है.