नई दिल्ली/शिमला. बुधवार 14 सितंबर को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में हिमाचल प्रदेश के हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने को लेकर मंजूरी दे दी है. इस निर्णय से सिरमौर जिले की 1.60 लाख से अधिक की आबादी लाभान्वित होगी.
सिरमौर के चार विधानसभा क्षेत्र रेणुका, शिलाई, पच्छाद और पांवटा के बड़े भू-भाग पर रहने वाले लोगों को यह दर्जा मिलेगा. रेणुका और शिलाई इसमें पूरी तरह से कवर होंगे. पच्छाद और पांवटा की आबादी के एक बड़े हिस्से को भी जनजातीय दर्जा मिलेगा.
पांच दशकों से चली आ रही थी मांग
सिरमौर जिले के गिरिपार क्षेत्र में रहने वाले हाटी समुदाय के लोग पांच दशक से एसटी का दर्जा मांग रहे थे. इसके लिए समुदाय के लोगों ने कई आंदोलन और प्रदर्शन किए. गिरिपार क्षेत्र के लोगों जैसी संस्कृति, परंपराओं और परस्पर संबंधों वाले उत्तराखंड के जौनसार बावर क्षेत्र के लोगों को 1967 में ही यह दर्जा दे दिया गया था.
प्रदेश सरकार ने मई 2005 में इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था. अगस्त 2011 में हाटी समुदाय की संस्कृति और स्थिति पर नई रिपोर्ट बनाने का काम शुरू हुआ. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 4 अगस्त 2018 को केंद्रीय गृह मंत्री और केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री से भी यह मामला उठाया. केंद्र से इस विषय पर ताजा एथनॉग्राफिक प्रस्ताव मांगा गया. एथनॉग्राफी का मतलब किसी समुदाय के रहन-सहन, खान-पान, संस्कृति और परंपराओं के अध्ययन से है.
राज्य सरकार ने नया एथनॉग्राफिक प्रस्ताव तैयार कर केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय को भेजा. मुख्यमंत्री ने एक बार फिर 10 मार्च 2022 को केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र भेजकर आग्रह किया कि रजिस्ट्रार ऑफ इंडिया को हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा देने के प्रस्ताव पर विचार करने के निर्देश दिए जाएं. मुख्यमंत्री ने इस संबंध में 11 मार्च 2022 को केंद्रीय गृह मंत्री से भी भेंट की. इसके बाद अप्रैल 2022 में रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने ट्रांसगिरि क्षेत्र में रहने वाले हाटी समुदाय को एसटी में शामिल करने की सहमति दे दी थी.
क्या लाभ होगा?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संविधान (अनुसूचित जाति आदेश 1950) में कुछ संशोधन करने के लिए संसद में संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (तीसरा संशोधन) विधेयक 2022 को लाने की मंजूरी दी है. यानी इस संबंध में संसद में विधेयक में संशोधन होगा. संबंधित संशोधन विधेयक आगामी सत्र में संसद में जाएगा. उससे पहले केंद्र सरकार अध्यादेश निकालकर भी इस दर्जे को दे सकती है. इस फैसले के बाद हाटी समुदाय के लोगों को तमाम वे लाभ मिलेंगे, जो जनजातीय लोगों को मिलते हैं.
विधेयक के कानून बनने के बाद हिमाचल प्रदेश की अनुसूचित जनजातियों की संशोधित सूची में नए सूचीबद्ध समुदाय के सदस्य भी सरकार की मौजूदा योजनाओं के तहत अनुसूचित जनजातियों के लिए निर्धारित लाभ प्राप्त कर सकेंगे. सरकारी नीति के अनुसार सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आरक्षण का लाभ मिलेगा. इसके अलावा पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति, राष्ट्रीय विदेशी छात्रवृत्ति, राष्ट्रीय फैलोशिप, उच्च श्रेणी की शिक्षा, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम से रियायती ऋण, अनुसूचित जनजाति के लड़कों और लड़कियों के लिए छात्रावास आदि का भी लाभ मिलेगा.
मुख्यमंत्री ने जताया आभार
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने ट्रांसगिरि क्षेत्र में रह रहे हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिए प्रधानमंत्री का आभार जताया है. सीएम ने कहा कि केंद्र सरकार ने ट्रांसगिरि क्षेत्र के लोगों को पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के लोगों के समान अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की चिरलंबित मांग को पूरा किया है. इन क्षेत्रों की संस्कृति और भौगोलिक स्थिति एक-दूसरे से मिलती-जुलती है. सीएम ने कहा कि यह निर्णय क्षेत्र के लोगों की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं के संवर्द्धन और क्षेत्र के विकास को गति देने में सहायक होगा. जयराम ने कहा कि देवभूमि हिमाचल की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह, केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा एवं केंद्र सरकार का हार्दिक आभार.
नेताओं ने जताया आभार
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया है. वहीं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष एवं शिमला के सांसद सुरेश कश्यप ने कहा कि जनजातीय क्षेत्र का दर्जा मिलने से यहां के लोगों को विशेष योजनाओं का लाभ मिलेगा एवं अतिरिक्त फंड मिलेगा, जिससे इस पिछड़े हुए क्षेत्र में विकास की रफ्तार बढ़ाने में मदद मिलेगी.
वो शख्स जिन्होंने निभाई अहम भूमिका
केंद्रीय हाटी समिति के अध्यक्ष डॉ. अमीचंद कमल ने गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा दिलाने में अहम भूमिका निभाई. सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद वह वर्ष 2011 से इस मुहिम में जुड़े. वर्ष 2013 में वह केंद्रीय हाटी समिति के मुख्य सलाहकार बने और वर्ष 2018 में वह केंद्रीय हाटी समिति के अध्यक्ष बने. उन्होंने पंगवाल जनजाति पर पीएचडी की है. इसलिए उन्होंने हाटी मामले में कागजी कमियों को पूरा करने का बेहतरीन कार्य किया. कोरोनाकाल में उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत सूचनाएं एकत्रित करके प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्रालय, आरजीआई व जनजातीय आयोग में पत्राचार और अपीलें करके फाइल को आगे बढ़ाया.
कुंदन शास्त्री ने जुटाए तथ्य और साक्ष्य
केंद्रीय हाटी समिति के महासचिव कुंदन शास्त्री ने गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा दिलाने के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया. उन्होंने न केवल समिति के सभी दस्तावेज सहेजने का कार्य किया, बल्कि अन्य सभी तथ्य व साक्ष्य भी जुटाए. वह वर्ष 1993 से हाटी मुहिम में जुड़े. उन्होंने वर्ष 2008 में केंद्रीय हाटी समिति के महासचिव का पदभार उस समय संभाला जब इस मुहिम में शिथिलता आ रही थी. कुंदन शास्त्री ने बताया कि यह गिरिपार क्षेत्र के सभी लोगों के सामूहिक प्रयास का परिणाम है कि हाटी समुदाय को उसका जनजातीय अधिकार मिला है. इसमें तीन पीढ़ियों ने अपना योगदान दिया है.
हाटी समिति गठित कर आंदोलन को दी नई दिशा
केंद्रीय हाटी समिति के उपाध्यक्ष वेद प्रकाश ठाकुर हाटी मुहिम में वर्ष 1988 से जुड़े. उन्होंने वर्ष 2014 में विकास खंड राजगढ़ में हाटी समिति गठित करवाने की पहल की और वह वर्ष 2018 में केंद्रीय हाटी समिति के उपाध्यक्ष बने. उन्होंने कहा कि गिरिपार के हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा दिलाने में सभी राजनीतिक दलों व लोगों का सहयोग रहा. लोगों ने राजनीति से ऊपर उठकर हाटी मुहिम में बढ़-चढ़कर योगदान दिया. उन्होंने हाटी समिति के संस्थापक सदस्यों, सभी पदाधिकारियों को इस सफलता का श्रेय देते हुए कहा कि उन्होंने 50 वर्षों तक इस मुहिम को चलाए रखा.