शिमला. राज्य में कोई भी प्राकृतिक जल स्रोंत अब दूषित नहीं होंगे. इनकी देखरेख और पेयजल को प्रदूषण मुक्त करने के लिए राज्य सरकार एक अनूठा प्रयास करने जा रही है. इसके तहत गांव-कस्बों के पेयजल स्रोतों, कुओं और बावड़ियों के रखरखाव और सफाई का जिम्मा अब महिला मंडल, स्वंयसेवी संस्थाओं व अन्य संगठनों के हवाले किया जाएगा.
राज्य सरकार राज्य में स्वच्छता अभियान के तहत ‘हमारा हिमाचल-स्वच्छ हिमाचल’ के नारे के साथ पेयजल स्रोतों को साफ और संरक्षित करने की दिशा में कार्य करेगी. इस योजना के तहत सभी प्राकृतिक जलस्रोतों की सफाई की जाएगी.
इसमें गांव-कस्बों के कुएं, नलकूप, बावड़ियां और अन्य स्रोत शामिल हैं. महिला मंडलों, युवक मंडलों, स्वंयसेवी संस्थाओं और पंचायतों के माध्यम से सफाई पूर्ण करने के बाद महिला समूहों और एनजीओ से आग्रह किया जाएगा कि वह इन प्राकृतिक जलस्रोतों को गोद लेकर इनकी देखरेख करें.
दूषित हो चुके हैं अधिकांश जल स्त्रोत
हिमाचल में अधिकांश प्राकृतिक जल स्त्रोत दूषित हो चुके हैं. शहरों की सड़कों रोज पानी व्यर्थ बहता है लेकिन पानी की किल्लत होने पर लोग मजबूरी में इस दूषित जल का उपयोग कर अपने स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर बैठते है. ऐसे में जब राज्य के प्राकृतिक जल स्रोंतो की देखरेख होगी तो हजारों की संख्या में पाए जाने वाले ऐसे स्रोतों का पानी पीने योग्य बन सकेगा और पानी की किल्लत भी नहीं होगी.