नई दिल्ली. म्यांमार से भागकर रोहिंग्या मुसलमानों का बांग्लादेश पहुंचने का सिलसिला जारी है. अब तक साढ़े तीन लाख से अधिक शरणार्थी बांग्लादेश पहुंच चुके हैं. इन विस्थापितों को सिख धर्म से जुड़ा एक एनजीओ मदद कर रहा है.
इंग्लैंड का यह एनजीओ ‘खालसा एड’ इन विस्थापितों को शरणार्थी शिविर तक पहुंचाने और इनके लिये खाने-पीने का सामान वितरित करने में लगा है. इस संस्था के स्वयंसेवक म्यांमार-बांग्लादेश की सीमा पर बसे शहर टेकनाक में भाग कर आने वाले शरणार्थियों की मदद कर रहे हैं. संस्था के द्वारा रोजाना 30 से 50 हजार शरणार्थियों के लिए लंगर चलाया जा रहा है. एनजीओ इन लोगों के रहने के लिए बांग्लादेश सरकार द्वारा दी गयी जमीन पर आवास बनाने में मदद करने की योजना बना रही है.
खालसा एड के भारत के प्रबंध निदेशक अमरजीत सिंह कहते हैं, “यहां आनेवाले शरणार्थी बहुत बुरी हालत में हैं. मैने पीने के पानी के लिए इस तरह से तरसते हुए लोगोंं को इससे पहले कभी नहीं देखा था. इनके पास रिफ्यूजी कैंप में पहुंचने के लिए भी पैसे नहीं हैं. स्थानीय वाहन चालकों ने अपना किराया बढ़ा दिया है. संस्था इन्हे रिफ्यूजी कैंप तक पहुंचाने का प्रबंध कर रही है.”
सिंह इसे अब तक का सबसे बड़ा मानवीय संकट बताते हैं. वे बताते हैं कि संकट के खत्म होने तक वे मदद जारी रखेंगे. बांग्लादेश के एक अधिकारी के मुताबिक 3,80000 रोहिंग्या मुसलमान, म्यांमार से जान बचाकर बांग्लादेश पहुंचे हैं.