नई दिल्ली. वेनेज़ुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना माचाडो (Maria Corina Machado) को शुक्रवार को नोबेल शांति पुरस्कार 2025 (Nobel Peace Prize 2025) से सम्मानित किया गया। नॉर्वे की नोबेल समिति के प्रतिनिधि जॉर्गेन वॉटने फ्राइडनेस (Jorgen Watne Frydnes) ने यह घोषणा करते हुए कहा कि माचादो ने कठिन समय में भी “लोकतंत्र की लौ जलाए रखी” और अपने देश में शांति के लिए लगातार संघर्ष किया।
फ्राइडनेस ने माचाडो की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह “शांति की एक साहसी और समर्पित पैरोकार” हैं और यह भी जोड़ा कि “लोकतंत्र उन लोगों पर टिका है जो अन्याय के सामने चुप नहीं रहते।”
नोबेल समिति के अनुसार, माचादो वेनेज़ुएला की विपक्ष में एक एकजुट करने वाली शख्सियत (unifying figure) हैं, जिसने मौजूदा सरकार के दमन, धांधली वाले चुनावों और राजनीतिक बंदियों जैसी चुनौतियों का सामना किया है।
मारिया कोरीना माचादो कौन हैं?
7 अक्टूबर 1967 को जन्मी मारिया कोरीना माचाडो वेनेज़ुएला सरकार के मानवाधिकार हनन की मुखर आलोचक रही हैं। उन्होंने अपने देश में लोकतंत्र और शांति की स्थापना के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने 2002 में सिविक ऑर्गनाइजेशन “सुमाते (Súmate)” की सह-स्थापना की, जो चुनावी पारदर्शिता को बढ़ावा देने पर केंद्रित थी। माचादो ने 2011 से 2014 तक राष्ट्रीय विधानसभा (National Assembly) की सदस्य के रूप में काम किया।
2013 में उन्होंने राजनीतिक दल “वेंते वेनेज़ुएला (Vente Venezuela)” की स्थापना की, जो उदारवादी और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित है। अपने पूरे राजनीतिक करियर में माचादो ने मानवाधिकारों की रक्षा और तानाशाही शासन के खिलाफ संघर्ष को अपना मिशन बनाया।
उनके इन सतत प्रयासों के चलते ही उन्हें 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया। उनकी नॉमिनेशन ने उनके साहसिक नेतृत्व और लोकतंत्र के प्रति अटूट समर्पण को उजागर किया।
2024 के राष्ट्रपति चुनाव से माचाडो की अयोग्यता
2024 के वेनेज़ुएला राष्ट्रपति चुनाव (Venezuelan Presidential Election 2024) में माचाडो को चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था, जबकि उन्होंने विपक्षी प्राइमरी में 92% से अधिक वोट हासिल किए थे।
उनकी अयोग्यता के बाद, माचादो ने एडमुंडो गोंज़ालेज़ (Edmundo González) का समर्थन किया, जिन्होंने 70% वोट पाकर चुनाव जीता।
हालांकि, गोंज़ालेज़ की जीत पर चुनावी धांधली और विपक्षी उम्मीदवारों पर प्रतिबंध के आरोप लगे। इसके बावजूद, माचादो आज भी वेनेज़ुएला में लोकतंत्र और मानवाधिकारों की सबसे प्रबल आवाज़ों में से एक बनी हुई हैं और उन्हें अंतरराष्ट्रीय समुदाय से व्यापक समर्थन मिल रहा है।
