नई दिल्ली. हर साल सर्दियां शुरू होते ही दिल्ली और एनसीआर की हवा जहरीली क्यों हो जाती है? इस सवाल के कई जवाब हैं, लेकिन मूल कारण है ‘टेम्परेचर इनवर्ज़न (Temperature Inversion)’ — यानी जब ठंडी जमीन के ऊपर गर्म हवा की एक परत बन जाती है, जो प्रदूषकों को नीचे फंसा देती है। यह परत ढक्कन की तरह काम करती है और हवा के प्रवाह को रोक देती है। नतीजा: धुएं, धूल और जहरीले कणों का जमाव दिल्ली-एनसीआर को एक गैस चैंबर में बदल देता है।
क्यों बढ़ता है प्रदूषण
सर्दियों में हवा की गति धीमी पड़ जाती है और नमी बढ़ने से फॉग (धुंध) भी बनती है। ऐसे में वाहनों का धुआं, पराली जलाने से उठने वाला धुआं, निर्माण कार्य की धूल और घरों में जलाए जाने वाले कोयले या लकड़ी का धुआं हवा में ऊपर नहीं उठ पाता। यह सब मिलकर PM 2.5 और PM 10 जैसे सूक्ष्म कणों का घना जाल बना देते हैं, जो आंखों में जलन, सांस की तकलीफ और दिल पर बोझ डालते हैं।
ठंडी हवा बनती है सेहत की दुश्मन
एम्स (AIIMS) के पूर्व निदेशक और प्रसिद्ध फेफड़े रोग विशेषज्ञ डॉ. रणदीप गुलेरिया के अनुसार, “लोग सोचते हैं कि ठंड में धूल कम उड़ती है, इसलिए प्रदूषण का असर कम होता है, लेकिन सच यह है कि ठंडी हवा में प्रदूषक ज्यादा देर तक टिके रहते हैं और फेफड़ों में गहराई तक जाते हैं।”
ठंडी हवा फेफड़ों की नलियों को सिकोड़ देती है और सांस की सफाई प्रक्रिया को धीमा कर देती है। डॉक्टरों के मुताबिक, जब यह ठंड और प्रदूषण साथ आते हैं, तो अस्थमा, एलर्जी, सांस फूलना, सीने में जकड़न जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं।
सबसे ज्यादा खतरा बच्चों और बुजुर्गों को
‘लांसेट’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, ठंड और प्रदूषण का संयुक्त असर शहरी इलाकों में बीमारियों का बोझ 30% तक बढ़ा सकता है। बच्चे, बुजुर्ग और पहले से बीमार लोग इसके सबसे बड़े शिकार होते हैं। यहां तक कि सेहतमंद लोग भी प्रदूषित हवा में 15-20 मिनट दौड़ने के बाद खांसी या सीने में दर्द महसूस कर सकते हैं।
क्या करें? – स्मॉग से बचाव के लिए एक्सपर्ट्स की सलाह
स्कूलों के लिए
सुबह की असेंबली या आउटडोर स्पोर्ट्स को 9 बजे के बाद शिफ्ट किया जाए।
AQI (Air Quality Index) अगर 300 से ऊपर हो, तो आउटडोर गतिविधियां रोक दी जाएं और बच्चों को मास्क पहनने की सलाह दी जाए।
रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) के लिए
खुले में पत्ते या लकड़ी जलाने पर रोक लगाएं।
सड़कों की सफाई के लिए मैकेनिकल स्वीपिंग और वॉटर मिस्टिंग का उपयोग करें।
सोसायटी के नोटिस बोर्ड पर रोजाना AQI अपडेट लगाएं, ताकि बुजुर्ग लोग सावधानी बरत सकें।
आम लोगों के लिए
सुबह 5 से 8 बजे के बीच टहलने या दौड़ने से बचें — यही समय स्मॉग का सबसे घना होता है।
9 बजे के बाद धूप निकलने पर वॉक करें, जब प्रदूषक थोड़े छंट जाते हैं।
AQI अगर 200 से ऊपर हो तो N95 या FFP2 मास्क पहनें, और 300 से ऊपर होने पर आउटडोर एक्सरसाइज से बचें।
फिलहाल दिल्ली और एनसीआर के लोगों को खुद ही अपनी सेहत की रक्षा करनी होगी। थोड़ी जागरूकता, सही समय पर सही कदम और रोजमर्रा की छोटी सावधानियां ही इस घुटन भरे माहौल में राहत दे सकती हैं।
सर्दी में जब हवा ठहर जाती है, तब आपका सतर्क रहना ही आपकी सांसों की सबसे बड़ी सुरक्षा है।
