कुल्लू. ऑथर्स गिल्ड ऑफ हिमाचल का 13वां राज्यस्तरीय सम्मेलन देव सदन कुल्लू में धूमधाम से आयोजित किया गया. इस सम्मेलन में जहां प्रदेश भर के बड़े-बड़े विद्वान संसार की पहली पुस्तक ऋग्वेद के शोध के लिए पहुंचे, वहीं सम्मेलन में प्रदेश भर की 14 विभूतियों को उनके क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने के लिए सम्मानित किया गया. जिसमें डॉ. आर वासुदेव प्रशांत धर्मशाला, डॉ. बीबी सांख्यान बिलासपुर, डॉ. बीजे पुरी पालमपुर, डॉ. माधुरी सूद ज्वालामुखी, डॉ. कुशल कटोच धर्मशाला, कर्नल जसवंत सिंह कलोल बिलासपुर, सुरेश भारद्वाज धर्मशाला, इंदु पटियाल लोक संस्कृति की व्याख्याकार बंजार, रोशन लाल शर्मा प्रधान लेखक मंच बिलासपुर, धनेश गौतम पत्रकार कुल्लू, गोपाल शर्मा कांगड़ा, अर्जुन कनौजिया पालमपुर, नेसू राम आनंद छन्नीखोड़ (मरणोपरांत) और किशन श्रीमान हिमतरु पत्रिका कुल्लू को ऑथर्ज गिल्ड ऑफ हिमाचल प्रदेश सम्मान से सुशोभित किया गया.
अधिकतर निर्माण कुल्लू-मनाली की वादियों में
इस अवसर पर दो सत्रों में कार्यक्रम हुआ पहले सत्र में जहां विभूतियों को सराहनीय कार्य के लिए सम्मानित किया गया. वहीं ऋग्वेद पर विस्तृत चर्चा हुई. प्रदेश भर के विद्वानों ने ऋग्वेद पर अपने शोध पत्र पढ़े और पाया कि संसार की इस पहली पुस्तक का अधिकतर निर्माण कुल्लू-मनाली की ही वादियों में हुआ है.
विद्वानों के अनुसार ऋषि व्यासदेव ने भोजपत्र के पत्तों पर मनाली की ही वादियों में ऋग्वेद का निर्माण किया था. यह खुलासा प्रसिद्ध विद्वान एवं लेखक जयदेव विद्रोही ने जहां पहले ही किया था, वहीं रविवार को भी अधिकतर विद्वानों ने इस पर मोहर लगा दी. अब हिमाचली विद्वानों ने देशभर के विद्वानों के लिए शोध का विषय खड़ा कर दिया है. विद्वानों ने कुछ ऐसे तथ्य सामने रखते हुए देशभर के विद्वानों का ध्यान आकर्षित किया है कि इस पर शोध किया जाए और कोई विद्वान इस बात से सहमत नहीं है तो वह प्रमाणित करें.
जयदेव विद्रोही के अनुसार जर्मन विद्वान मैक्स मूलर ने 300 साल पहले संकेत दिए थे कि ऋग्वेद की रचना पंजाब के पहाड़ी क्षेत्र में हुई है. उस समय पंजाब का पहाड़ी क्षेत्र कुल्लू-मनाली ही था. यह भी खुलासा किया था कि ऋग्वेद में सबसे ज्यादा रचनाएं व सुक्तियां बशिष्ट ऋषि पर हैं और बिशिष्ट ऋषि का तपोस्थल एवं घर मनाली ही रहा है. इसके बाद मनु ऋषि की रचनाएं ऋग्वेद में हैं और मनु ऋषि ने भी मनाली से ही सृष्टि की रचना की थी.
यही नहीं उनके अनुसार प्रदेश के पहले भाषा एवं संस्कृति मंत्री लालचंद प्रार्थी ने भी अपनी पुस्तक कुल्लूत देश की कहानी में इसका उल्लेख किया है. अब प्रदेश भर के विद्वानों ने भी विद्रोही द्वारा छेड़े गए इस अभियान को आगे बढ़ाया है और माना है कि ऋग्वेद की रचना कुल्लू-मनाली में ही हुई है.
मिल सकता है पर्यटन को बढ़ावा
कुल्लू के पर्यटन को इसी बहाने बढ़ावा तो मिलेगा ही क्योंकि ऋग्वेद से जुड़े अनेकों ऋषि मुनियों के आश्रम कुल्लू मनाली में युगों से चले आ रहे हैं. इस संदर्भ में यदि हिमाचल सरकार थोड़ी सी भी रुचि दिखाए तो ऋग्वेद के निर्माण स्थल पर हर वर्ष एक राष्ट्रीय स्तर का आयोजन किया जा सकता है. जिसमें उच्च कोटि के विद्वानों को शोध कार्य हेतु यहां विशेष रूप से आमंत्रित किया जा सकता है.