नई दिल्ली. पांच साल पहले दिल्ली में जब कड़ाके की ठंड से सब अपने घर में कंबल में बैठकर टीवी देखकर, तब कुछ ऐसी घटना घटी ही पूरी दिल्ली में सनसनी फैली गयी. एक लड़की अपने दोस्त के साथ वसंत विहार में फिल्म देखकर घर के वापस जा रही थी. बहुत देर इंतजार किया लेकिन उसे वहां कोई गाड़ी नहीं मिली, फिर एक बस सामने से आई जहां एक लड़के ने आवाज देकर कहा दीदी इस बस में बैठ जाओ हम छोड़ देंगे. यह सुनकर वह लड़की अपने दोस्त के साथ बैठ गयी. जैसी ही वह बस में बैठी उसके साथ पहले छेड़खानी की फिर उसके बाद जब उसके दोस्त ने उसे बचाने की कोशिश की तो उसे पांच लड़कों ने जानलेवा हमला कर उसे भी घायल कर दिया.
फिर उस लड़की के साथ सभी ने एक एक करके हैवानियत की. अधमरी हालत में उसे बस से नीचे फेक दिया. इस घटना को निर्भया कांड नाम दिया गया. लेकिन पांच साल हो गये इस घटना को निर्भया आरोपी को अभी फांसी नहीं हुई. इसमें से एक आरोपी छूट भी गया है.
हर जगह तेजी से फैली यह खबर
आधी रात हो चुकी थी. किसी ने पुलिस को खबर दी कि बसंत विहार इलाके में एक युवक और युवती बेहोश पड़े हैं. सूचना मिलने के साथ ही पुलिस हरकत में आ गई. पीड़ित लड़की को नाजुक हालत में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया. मामला तब तक मीडिया की सुर्खियों में आ गया. लड़की के साथ हुई दरिंदगी को जानकर हर कोई गुस्से में था. आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर आवाज उठने लगी. घटना के विरोध में अगले ही दिन ही कई लोगों ने सोशल नेटवर्किंग साइट्स फेसबुक और ट्विटर के जरिए अपना गुस्सा ज़ाहिर करना शुरु किया. लोग गुस्से में थे, मीडिया पल-पल की खबर दिखा रहा था.
निर्भया ने मौत से 13 दिन तक जूझते हुए इलाज के दौरान सिंगापुर में दम तोड़ दिया था. इस भयानक हादसे के बाद राजधानी को ‘दुष्कर्म की राजधानी’ की संज्ञा दी जाने लगी. क्या महिलाओं के लिए दिल्ली अब सुरक्षित है? आपराधिक आंकड़ों में तो इसकी पुष्टि होती नहीं दिखती. दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में रह रही और काम कर रहीं महिलाएं केंद्र और राज्य सरकारों के महिला सुरक्षा के दावों के विपरीत खुद को यहां सुरक्षित महसूस नहीं करतीं.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो एनसीआरबी द्वारा 2016-17 के जारी आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में अपराध की उच्चतम दर 160.4 फीसदी रही, जबकि इस दौरान अपराध की राष्ट्रीय औसत दर 55.2 फीसदी है. इस समीक्षाधीन अवधि में दिल्ली में दुष्कर्म (2,155 दुष्कर्म के मामले, 669 पीछा करने के मामले और 41 मामले घूरने) के लगभग 40 फीसदी मामले दर्ज हुए.
निर्भया कांड के बाद क्या हुआ
निर्भया कांड को लेकर भले ही कई सवाल बरकरार हों मगर इस हादसे से कई सबक भी लिए गए. बलात्कारियों को फांसी की सजा का कानून भले ही अब तक वजूद में नहीं आ सका मगर घटना के बाद कानून कड़े किए गए. आईपीसी और सीआरपीसी में तमाम नए संशोधन हुए और महिला अपराध संबंधी धाराओं को गैरजमानती बनाया गया. इसके अलावा देशभर में महिला अपराधों से निपटने के लिए सेल और कमेटियां गठित हुईं. हालांकि महिला अपराधों में अब भी कमी नहीं आई है मगर अपराधियों की धरपकड़ और सजा का ग्राफ जरूर बढ़ गया है.