शिमला. हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे 412 उम्मीदवारों में 23 फीसदी यानी 94 उम्मीदवार आपराधिक रिकॉर्ड वाले हैं. इनमें 50 उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. तीन पर हत्या और दो पर हत्या के प्रयास के मामले दर्ज हैं. सभी उम्मीदवारों के चुनावी नामांकन पत्र के साथ जमा किये गये शपथपत्रों को खंगालने के बाद भारत ज्ञान विज्ञान समिति (BGVS) और हिमाचल इलेक्शन वॉच के अध्ययन से ये खुलासा हुआ है.
अध्ययन के मुताबिक 12 फीसदी यानी 50 उम्मीदवारों के खिलाफ संगीन अपराध में संलिप्त रहने के आरोप में मामले दर्ज हैं. हिमाचल इलेक्शन वॉच के अनुसार प्रदेश में 412 में से 94 (23 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किय हैं. जबकि पिछले विधानसभा चुनाव 2017 में कुल 338 में से 61 (18प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये थे.
2017 के चुनाव में क्या थी स्थिति?
उन्होंने कहा कि इस बार 412 में से 415 में से 50 (12 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये हैं. जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में 31 (9 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले दर्शाए थे. इस बार पांच उम्मीदवारों ने अपने ऊपर हत्या (आईपीसी- 302) से संबंधित मामले घोषित किये हैं. इसी तरह तीन उम्मीदवारों ने अपने ऊपर हत्या (आईपीसी-302) से सम्बंधित मामले बताय हैं. दो उम्मीदवारों ने अपने हत्या का प्रयास (आईपीसी-307) से सम्बन्धित मामले घोषित किए हैं.
कांग्रेस के सबसे ज्यादा उम्मीदवार
उन्होंने कहा कि कांग्रेस में आपराधिक रिकार्ड वाले सर्वाधिक उम्मीदवार हैं. कांग्रेस के 68 उम्मीदवारों में से 36 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. जबकि भाजपा और आम आदमी पार्टी में ऐसे 12-12 उम्मीदवार हैं. इसके अलावा बसपा के दो उम्मीदवारों पर भी एफआईआर दर्ज है. कांग्रेस के 17, भाजपा व आप के छह-छह और बसपा के एक उम्मीदवार के खिलाफ संगीन धाराओं में एफआईआर है।
डॉ ओम प्रकाश भूरेटा ने बताया कि हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 में उम्मीदवारों के चयन में राजनीतिक दलों पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है क्योंकि उन्होने फिर से आपराधिक मामलों वाले लगभग 23 फीसदी उम्मीदवारों को टिकट देने की अपनी पुरानी प्रथा का पालन किया है.
64 प्रतिशत उम्मीदवारों को टिकट
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में चुनाव लड़ने वाले सभी प्रमुख दलों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित करने वाले 18 प्रतिशत से 64 प्रतिशत उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 13 फरवरी, 2020 के अपने निर्देशों में विशेष रूप से राजनीतिक दलों को आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को चुनने व साफ छवि वाले उम्मीदवारों को टिकट नहीं देने के कारण बताने का निर्देश दिया था. इन अनिवार्य दिशानिर्देशों के अनुसार, ऐसे चयन का कारण सम्बन्धित उम्मीदवार की योग्यता, उपलब्धियों और योग्यता के संदर्भ में होना चाहिए.