शिमला. हिमाचल प्रदेश सरकार ने कर्ज के बोझ तले दबी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए जिस तरह से वैट बढ़ाया है, उसी तरह से और भी सख्त निर्णय लिए जा सकते हैं. इस बारे में सीएम ने संकेत भी दे दिए हैं.
सख्ती से निर्णय लेने में जनता का भी साथ चाहते हैं- सुक्खू
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि वे प्रदेश के अधिकारियों और कर्मचारियों से अपील करना चाहते हैं कि कर्जे का बोझ लेकर आगे नहीं बढ़ा जा सकता है. आने वाले समय में और भी कडे़ फैसले लेने होंगे. इसमें वे जनता का भी साथ चाहते हैं. आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद वे संसाधन बढ़ाने के लिए आगे बढ़ रहे हैं और इन्हें विकसित कर रहे हैं.
सुक्खू ने पत्रकार वार्ता में कहा कि ओपीएस का फैसले को लेते हुए कांग्रेस की नीति भी स्पष्ट थी और नीयत भी. सब समस्याओं के बावजूद वायदा पूरा किया गया है. इस बारे में अधिकारियों के साथ बैठक भी हुई है. पहले डबल इंजन की सरकार थी, कुछ तो मिला होगा. भाजपा ने सत्ता का विकेंद्रीयकरण करके सत्ता सुख भोगा. कांग्रेस की राष्ट्रीय नेता प्रियंका गांधी ने भी कहा था कि जब पहली कैबिनेट होगी तो ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करेंगे. यह न्यायसंगत फैसला है. इसमें काफी अड़चने आईं. अधिकारियों ने भी कहा कि आर्थिक तंगहाली में यह संभव नहीं हो सकता. लेकिन, यह निर्णय लिया गया कि सामाजिक सुरक्षा को देखते हुए इसे लागू करना चाहिए.
वैट के तीन रुपये से ओपीएस के लिए फंड का प्रबंध किया
सुक्खू ने कहा कि आज भी उत्तराखंड, पंजाब, जम्मू-कश्मीर से सस्ता हिमाचल प्रदेश में डीजल है. डीजल पर सात रुपये में से तीन रुपये बढ़ाए, वहां से ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए फंड का प्रबंध किया गया है. केंद्र सरकार के पास 8,000 करोड़ रुपये फंसे हैं. न्यू पेंशन स्कीम में 14 प्रतिशत सरकार और 10 प्रतिशत कर्मचारियों से कटता है. यह केंद्र के पास पड़ा है. इसे लाने की लड़ाई लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि तीन प्रतिशत जो डीजल पर वैट बढ़ाया, उससे ही OPS के लिए फंड निकाला है, उसी से इंतजाम किया है.
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल में युवा दर- दर भटकते हैं. ऐसा रोजगार नहीं देना चाहते, जहां पेपर पहले ही बिक जाता हो या लीक हो जाता हो. मेरिट की उपेक्षा न हो, इस दृष्टि से काम करना चाहते हैं.