शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने उप मुख्यमंत्री सहित सीपीएस की नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई 31 अगस्त को निर्धारित की है. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने सीपीएस की नियुक्तियों से जुड़े सभी मामलों को एक साथ सुनवाई के लिए सूचिबद्ध किया है.
सीपीएस की नियुक्तियों को तीन याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी गई है. सबसे पहले वर्ष 2016 में पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेंस संस्था ने सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती दी थी. नई सरकार की ओर से सीपीएस की नियुक्ति किए जाने पर उन्हें प्रतिवादी बनाए जाने के लिए आवेदन किया गया.
उसके बाद मंडी निवासी कल्पना देवी ने भी सीपीएस की नियुक्तियों को लेकर याचिका दायर की है. भाजपा नेता सतपाल सत्ती ने उपमुख्यमंत्री समेत सीपीएस की नियुक्तियों को चुनौती दी है. अदालत सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रही है, लेकिन इन सीपीएस को जारी किए गए अदालती नोटिस की तामील नहीं हो रही है. अभी तक उपमुख्यमंत्री समेत सिर्फ दो सीपीएस ने ही अदालत के नोटिस स्वीकार किए हैं.
हाईकोर्ट 2005 में भी रद्द कर चुका है नियुक्तियां
वर्ष 2005 में हाईकोर्ट ने सीपीएस की नियुक्तियों को असांविधानिक बताते हुए रद्द किया था. उसके बाद हिमाचल सरकार ने संसदीय सचिव अधिनियम, 2006 बनाया. सुप्रीम कोर्ट ने बिमोलंग्शु राय बनाम असम सरकार के मामले में 26 जुलाई, 2017 को असम संसदीय सचिव अधिनियम 2004 को असांविधानिक ठहराया था.
इस फैसले के बाद मणिपुर सरकार ने संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन और भत्ते और विविध प्रावधान) अधिनियम, 2012 को वर्ष 2018 में संशोधित किया. वर्ष 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर सरकार बनाम सूरजा कुमार ओकराम के मामले में इस अधिनियम को भी असांविधानिक करार दिया.
