देहरा (कांगड़ा). उपमंडल के अंतर्गत पड़ने वाले गांव हरिपुर में कभी राजा हरिचंद द्वारा बसाया गया यह शहर आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. ऐतिहासिक धरोहर संजोए बैठा यह शहर खण्डरों मे तब्दील हो चुका है.
लगभग 1398 से 1405 ई. के बीच बने इस शहर को राजा हरिचंद ने बसाया था, जोकि अब खण्डरों का ढेर बन चुका है. पुराने जमाने के कुछ विशाल भवन, कुएं, तालाब और बावड़ियां मौजूदा समय में पूरी तरह से खंडित हो चुके हैं और जो कुछ बचे हैं, वह कूड़े और झाड़ियों से भर चुके हैं.
बाण गंगा के किनारे बसा है शहर
पवित्र बाण गंगा (बनेरनदी) के किनारे बसे इस शहर में बड़े-बड़े विद्वान चिकित्सक, वैद्य, शास्त्री, संगीतकार, लेखक निवास करते थे. जिस कारण लोग इस शहर को ”छोटी काशी” कहते थे. इसका जीता-जागता उदाहरण यहाँ के प्राचीन कुऐं, तालाब, महल और पांडवों के समय की पंडु खपर बावड़ी और बड़ी-बड़ी गुफाएं हैं.
शादियों की रौनक बढ़ता है संगीत
हिमाचल प्रदेश के निचले भाग में गाया जाने वाला गीत ‘सेहरा तां बणेया हरीपुरे दा’ आज भी विवाह शादियों की रौनक बढ़ाता है. हरीपुर किले के भीतर कई ऐसी ऐतिहासिक चीजें विद्यमान हैं. जैसे की किले के अंदर से चट्टानों के बीच निकाली गई गुफा जो कि बनेर नदी तक जाती है, जिन्हें पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा सकता है. इस क्षेत्र को बस इंतजार है तो सिर्फ सरकार के सकारात्मक रवैये का.
सरकारों ने नहीं लिया सुध
सरकारों के रवैये का नतीजा आज भी यह क्षेत्र भुगत रहा है. इंटरनेट पर हरीपुर को पर्यटन नगरी दर्शया गया है. लेकिन यहां आकर पर्यटक भी यही सोचते होंगे कि आखिर कब सरकार इस क्षेत्र की सुध लेगी.
जल्द ही उठाया जाएगा कदम
विधायक होशियार सिंह ने बताया कि टूरिज्म के लिहाज से यह एक ऐतिहासिक धरोहर है, जिसे सरकार और पुरातत्व को अपने अधीन करके यहां पर टूरिज्म विकसित करना चाहिए. जिससे सरकार को भी आय होगी और धरोहर का भी उचित रख-रखाव होता रहेगा, क्योंकि पौंग डैम नजदीक होने से पर्यटकों के लिहाज से एक ऐतिहासिक धरोहर साबित हो सकता है. इस बारे में पुरातत्व विभाग से बात की गई है और शीघ्र ही उचित कदम उठाया जायगा.