चंबा(खजियार). प्रदेश सरकार शिक्षा के क्षेत्र में बड़े-बड़े दावे तो पेश करती है, लेकिन जमीनी हकीकत का अंदाजा दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर बच्चों को दी जा रही शिक्षा और वहां के स्कूलों के हालत को देखकर साफ तौर पर लगाया जा सकता है.
पिछले कुछ महीनों में प्रदेश सरकार ने प्रदेश में सैंकड़ों के हिसाब से नए स्कूलों की घोषणा भी कर दी है और बहुत से स्कूलों को अपग्रेड भी कर दिया है. लेकिन जो स्कूल पिछले 30 सालों से चल रहे हैं वहां पर अभी वह सुविधाएं प्रदान नहीं की गई है, जो बच्चों को सही तौर पर शिक्षा के क्षेत्र में दी जानी होती है.
चंबा के खजियार के गांव बैंसका के प्राइमरी स्कूल की हालत इतनी खराब है कि वहां पर कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. 9 अप्रैल 2017 में भारी तूफान के चलते स्कूल की छत उड़ जाने की वजह से स्कूल के भवन को काफी नुकसान पहुंचा था. हालांकि स्कूल शिक्षा प्रबंधन ने इसके लिए विभाग को अवगत भी करवा दिया था, लेकिन इतने दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक स्कूल की हालत जस की तस बनी हुई है.
कभी भी हो सकता है हादसा
स्कूल की ऊपर की मंजिल बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है. दीवारों पर बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं, जिसकी वजह से वहां कोई भी हादसा हो सकता है. स्कूल के भवन की ऊपर की मंजिल क्षतिग्रस्त होने के बाद अब स्कूली बच्चो को नीचे की मंजिल में ही पढ़ाया जाता है. लेकिन वहां पर भी लेंटर(भवन का एक हिस्सा) बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है. बारिश में वहां पर भी पानी टपकता है, जिससे बच्चों को पढ़ने में काफी दिक्कत होती है.
जहां स्कूल की छत से बड़ा हादसा होने का अंदेशा है, वहीं स्कूल के नीचे की तरफ से भूस्खलन की वजह से स्कूल के पूरे भवन के गिरने का खतरा बना हुआ है. कुल मिलाकर स्कूल का अस्तित्व पूरी तरह से खतरे में है, लेकिन इतने खतरों के बावजूद भी बच्चे वहां पर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.
समस्या का हल नहीं
अभिभावकों ने बताया कि उनके बच्चे यहां खतरे के साए में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. उन्होंने इसके लिए ग्राम पंचायत प्रधान, शिक्षा विभाग और राजनेताओं को कई बार इस समस्या से अवगत करवाया है, लेकिन अभी तक किसी ने भी इस समस्या का कोई हल नहीं किया है. उन्होंने विभाग से आग्रह किया है कि स्कूल को जल्द से जल्द ठीक किया जाए, ताकि उनके बच्चे सुरक्षित शिक्षा ग्रहण कर सकें.
पंचायत के बीडीसी सदस्य और प्रधान ने बताया कि 9 अप्रैल 2017 को तूफान की वजह से स्कूल की छत क्षतिग्रस्त हो गई थी. जिससे स्कूल को काफी नुकसान हुआ था. स्कूल की निचली मंजिल में जहां बच्चे पढ़ते हैं वहां लेंटर से भी बारिश में पानी अंदर आता है. उन्होंने बताया जब स्कूल की छत क्षतिग्रस्त हुई थी तो उसके कुछ ही दिन के बाद उन्होंने इसकी जानकारी शिक्षा विभाग और सरकार को दे दी थी.
हालांकि उपायुक्त ने इसके लिए एक लाख रुपए भी स्वीकृत कर दिए थे, लेकिन जमीन का मालिक स्कूल की मरम्मत करने नहीं दे रहा है. दरअसल, 30 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक जिस ज़मीन पर स्कूल भवन बनाया गया है, वह भूमि अभी तक स्कूल के नाम पर नहीं हो पाई है और उसके बदले में वह मुआवजे की मांग पर अड़ा हुआ है.
स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों ने बताया कि उनके स्कूल की छत तूफान की वजह से उठ गई थी. जिसकी वजह से बारिश के समय पानी उनके क्लासरूम तक पहुंच जाता है. उन्होंने बताया कि इस पानी की वजह से उन्हें काफी परेशानी होती है. उनकी किताबें भी भीग जाती हैं.
छोटे-छोटे बच्चों ने सरकार और प्रशासन से गुहार लगाई है कि उनके स्कूल की छत को सही किया जाए ताकि वह चैन से पढ़ाई कर सकें. बच्चों ने कहा कि अगर हमारे स्कूल को ठीक नहीं किया गया तो वह पढ़ाई भी नहीं करेंगे.