एक के बदले 10 सिर लाने के नारे से सत्ता में आई बीजेपी सरकार असहाय नजर आ रही है. बीजेपी के सामने कठिन चुनौती है. पड़ोसी मुल्क लगातार सीजफायर का उल्लंघन कर रहा है. रोज की कहानी बन गई है कि पाकिस्तान सीजफायर का उल्लंघन करे और हम उसका जवाब देते रहें. पाक की नापाक हरकत से हमारे जवान शहीद हो रहे हैं.
अभी नए साल को शुरू हुए डेढ़ महीने का भी वक्त नहीं गुजरा है, मगर पाकिस्तान ने इस वर्ष 160 से अधिक बार सीजफायर का उल्लंघन किया है. इसमें कोई शक नहीं कि हमारी सेना के आगे पाकिस्तानी सेना कहीं भी नजर नहीं आती, बावजूद इसके हमारे जवानों का जो मरने का आंकड़ा है वह सोचने पर मजबूर करता है. मौजूदा बीजेपी सरकार के आने के बाद अगर जवानों के शहीद होने के आकड़ों पर नजर डालें तो साल-दर-साल आंकड़ो में इजाफा ही हुआ है.
साल 2014 में हमारे 51 जवान शहीद हो गए. जबकि 2015 में 41 जवान तो 2016 में यह आंकड़ा बढ़कर 88 पहुंच गया. इसके अलावा 2017 में 83 जवानों ने शहादत हासिल की. इस साल 4 फरवरी तक ही 8 जवान शहीद हो चुके हैं.
ये आंकड़े वाकई चिंतित करने वाले हैं, वो भी ऐसी सरकार में जिसने सेना के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था. क्या पाकिस्तान की हर नापाक साजिश का जवाब कड़ी निंदा से ही देकर इसे निपटा दिया जाता है.
लेकिन जहां हमारे जवान शहीद हुए हैं वहीं जवानों ने अपनी ताकत भी दिखाई है. साल 2014 में 110, 2015 में 113, 2016 में 165 और 2017 में 218 आतंकियों को ढेर कर चुके हैं. यानि साफ है कि जवान किसी भी सूरत में पड़ोसी मुल्क को नाको चने चबवाने का माद्दा रखते हैं. बस जरुरत है सरकार के रवैये में बदलाव की.
अभी हाल ही में शहीद जवान कैप्टन कपिल कुंडू की मां का गुस्सा नेताओं पर साफ देखा जा सकता है. उन्होंने यहां तक कह दिया कि हमें अपनी सेना और लोगों से प्यार है. किसी नेता की कोई परवाह नहीं. ऐसा उन्होंने तब कहा जब शहीद के अंतिम संस्कार में रोहतक के कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा के अलावा कोई भी नेता शामिल नहीं हुआ.
मां सुनीता कुंडू ने यह भी कहा कि सरकार सेना को रोकती है, सरकार सेना को और ताकत दे ताकि दुश्मनों को जड़ से खत्म किया जा सके.
हम भी हिंदू-मुस्लिम के टॉपिक पर महीनों बात कर सकते हैं. भारत की जय का नारा भी जोर से लगा सकते हैं. लेकिन जवानों की शहादत पर चुप्पी साध जाते हैं. वजह कुछ भी हो पर जल्द ही सरकार को चेतना ही होगा. जवानों की जिंदगी देश के लिए बहुत कीमती है. सरकार एक के बदले भले ही 10 सिर न लाए लेकिन वो एक सिर को जाने से तो रोक ही सकती है.