नई दिल्ली. हैदराबाद- तेलंगाना विधानसभा में गोशामहल से तीन बार जीत चुके विधायक टी. राजा सिंह (T Raja Singh) ने भारतीय जनता पार्टी से नाता तोड़ लिया है। उन्होंने 30 जून 2025 को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया था, जिसे अब BJP leadership ने औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया है। राजा सिंह ने यह कदम तेलंगाना BJP अध्यक्ष पद पर एन. रामचंदर राव की नियुक्ति से असहमति जताते हुए उठाया था।
क्यों दिया राजा सिंह ने इस्तीफा? जानिए अंदरूनी राजनीति की वजह
अपने त्यागपत्र में टी. राजा सिंह ने पार्टी नेतृत्व पर grassroot karyakartas की उपेक्षा और गलत दिशा में नेतृत्व चयन का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पार्टी ने स्थानीय कार्यकर्ताओं की भावना के खिलाफ फैसला लिया और नेतृत्व की चयन प्रक्रिया पारदर्शी नहीं रही। हालांकि उन्होंने साफ किया कि वे Hindutva ideology के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं और उनकी विचारधारा से कोई समझौता नहीं है।
गोशामहल सीट पर तीन बार की जीत, 2018 में अकेले चमके थे राजा सिंह
2014, 2018 और 2023 में लगातार गोशामहल से विधायक चुने गए टी. राजा सिंह का प्रभाव क्षेत्र बेहद खास है। यह सीट हैदराबाद की AIMIM सांसद Asaduddin Owaisi की लोकसभा सीट में आती है, लेकिन गोशामहल में Hindu vote bank का बड़ा दबदबा है। 2018 में जब BJP का अधिकांश प्रदर्शन कमजोर रहा, तब भी राजा सिंह ने यह सीट पार्टी के लिए बचाकर रखी थी।
T Raja Singh: एक कट्टर हिंदुत्ववादी चेहरा
टी. राजा सिंह की छवि एक hardline Hindutva leader की रही है। वे लंबे समय से गौरक्षा, धर्मांतरण विरोध और हिंदू सुरक्षा जैसे मुद्दों पर मुखर रहे हैं। उन्होंने बजरंग दल, श्रीराम युवा सेना जैसे संगठनों से भी नजदीकी रखी है।
उनके विवादित बयानों ने अक्सर उन्हें सुर्खियों में रखा। Prophet Muhammad पर टिप्पणी को लेकर उनकी गिरफ्तारी और BJP द्वारा निलंबन भी चर्चा का विषय रहा। हालांकि, 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले उनका निलंबन वापस ले लिया गया था।
कई आपराधिक मामले, फिर भी प्रभावशाली नेता
टी. राजा सिंह पर communal violence, hate speech और उकसाने वाले बयानों से जुड़े कई आपराधिक केस दर्ज हैं, लेकिन उनकी लोकप्रियता में कभी कमी नहीं आई। गोशामहल क्षेत्र में उन्हें हिंदुत्व की मजबूत आवाज माना जाता रहा है।
अब आगे क्या? BJP के लिए गोशामहल सीट बनी चुनौती
T Raja Singh के पार्टी छोड़ने के बाद BJP के सामने गोशामहल सीट पर उम्मीदवार तय करने और वहां की Hindu voter base को संतुष्ट रखने की बड़ी चुनौती है। वहीं, यह भी देखा जाना बाकी है कि राजा सिंह आगे किस राजनीतिक दल का रुख करते हैं या अपनी स्वतंत्र राजनीतिक राह बनाते हैं।