नई दिल्ली. राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आज फैसला किया है कि जाति गणना को जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए। केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसलों पर कहा कि आगामी जनगणना के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। करीब 94 साल बाद पूरे देश में जाति जनगणना होगी।
सरकार अगली जनगणना में जाति गणना को शामिल करेगी
एक बड़े फैसले में सरकार ने आगामी जनगणना में पारदर्शी तरीके से ‘जाति गणना’ को शामिल करने का फैसला किया है। राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा लिए गए फैसलों की घोषणा करते हुए अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जनगणना केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आती है, लेकिन कुछ राज्यों ने सर्वेक्षण के नाम पर जाति गणना की है।
यह आरोप लगाते हुए कि विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों ने राजनीतिक कारणों से जाति सर्वेक्षण किया है, मंत्री ने कहा कि आगामी अखिल भारतीय जनगणना में जाति गणना को पारदर्शी तरीके से शामिल करना मोदी सरकार का संकल्प है। जनगणना की प्रक्रिया अप्रैल 2020 में शुरू होनी थी, लेकिन कोविड महामारी के कारण इसमें देरी हुई।
अश्विनी वैष्णव के प्रेस कॉन्फ्रेंस की कुछ अहम बातें
राष्ट्रीय जनगणना में जाति जनगणना को शामिल किए जाने पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कांग्रेस सरकारें हमेशा से जाति जनगणना का विरोध करती रही हैं।
स्वतंत्रता के बाद से किसी भी राष्ट्रीय जनगणना में जाति गणना को शामिल नहीं किया गया है।
2010 में दिवंगत डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा था कि जाति जनगणना के मामले पर कैबिनेट में विचार किया जाना चाहिए। इस विषय पर विचार करने के लिए मंत्रियों का एक समूह बनाया गया था। अधिकांश राजनीतिक दलों ने जाति जनगणना की सिफारिश की है।
इसके बावजूद, कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने वास्तविक जाति जनगणना के बजाय एक सर्वेक्षण कराने का विकल्प चुना। इस सर्वेक्षण को SECC (सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना) के नाम से जाना जाता है।
फिर भी, कांग्रेस और भारत गठबंधन की पार्टियों ने जाति जनगणना के मुद्दे का इस्तेमाल केवल अपने राजनीतिक लाभ के लिए किया है।
संविधान के अनुच्छेद 246 के अनुसार जनगणना को संघ सूची में प्रविष्टि 69 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जो इसे केंद्रीय विषय बनाता है। हालाँकि, कई राज्यों ने सर्वेक्षणों के माध्यम से जाति गणना की है। कुछ राज्यों में यह प्रक्रिया सुचारू रूप से चली, जबकि अन्य में इसे राजनीतिक उद्देश्यों से किया गया और इसमें पारदर्शिता का अभाव था।
ऐसे सर्वेक्षणों से समाज में भ्रम और गलत सूचना फैलती है।
इन सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, तथा यह सुनिश्चित करने के लिए कि सामाजिक ताने-बाने पर राजनीतिक दबाव न पड़े, जाति गणना को सर्वेक्षण के बजाय मुख्य जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए।
इससे यह सुनिश्चित होगा कि समाज आर्थिक और सामाजिक दोनों रूप से मजबूत बने तथा राष्ट्र की प्रगति निर्बाध जारी रहे।
आज की तारीख़, 30 अप्रैल, 2025 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने आगामी राष्ट्रीय जनगणना में जाति गणना को शामिल करने का निर्णय लिया है। यह राष्ट्र और समाज के समग्र कल्याण और मूल्यों के प्रति वर्तमान सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इससे पहले भी जब आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया था, तब समाज के किसी भी वर्ग में कोई अशांति नहीं थी।
‘जाति जनगणना’ पर लालू प्रसाद यादव
लालू प्रसाद यादव ने ‘जाति जनगणना’ पर कहा कि आज की तिथि 30 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आगामी राष्ट्रीय जनगणना में जाति गणना को शामिल करने का निर्णय लिया है। यह राष्ट्र और समाज के समग्र कल्याण और मूल्यों के प्रति वर्तमान सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इससे पहले भी जब आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया था, तब भी समाज के किसी भी वर्ग में कोई अशांति नहीं थी।