नई दिल्ली: सीबीआई ने मणिपुर हिंसा की जांच शुरू कर दी है. केंद्रीय जांच एजेंसी ने मामले में छह एफआईआर दर्ज करने के साथ ही 10 लोगों को गिरफ्तार किया है. केंद्र ने मणिपुर में दो महिलाओं के यौन उत्पीडन और हिंसक घटनाओं को सीबीआई को स्थानांतरित करने के फैसले से उच्चतम न्यायालय को अवगत कराते हुए इस मामले की सुनवाई राज्य से बाहर छह महीने के भीतर करने का निर्देश देने की गुहार लगाई है.
शीर्ष अदालत इस मामले पर आज सुनवाई करेगी
अदालत मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर एक याचिका से संबंधित मामले पर सुनवाई करेगी. केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने शीर्ष अदालत के समक्ष सुनवाई से पहले गुरुवार को दायर एक हलफनामे से यह भी कहा है कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के सामने आने के बाद लगातार मामले की निगरानी की जा रही है.
केंद्र सरकार ने अदालत के समक्ष कहा कि उसका दृष्टिकोण महिलाओं के खिलाफ किसी भी स्तर के अपराध को बर्दाश्त नहीं करने का रहा है. केंद्र मानती है कि इस मामले को न केवल गंभीरता से लिया जाना चाहिए, बल्कि समय पर न्याय भी होना चाहिए, ताकि इसका असर महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के संबंध में पूरे देश में निवारक प्रभाव पड़े. केंद्र सरकार ने इन दलीलों के साथ शीर्ष अदालत से मामले की सुनवाई मणिपुर से बाहर स्थानांतरित करने करने की गुहार लगाते हुए कहा कि आरोप पत्र दाखिल होने के छह महीने के भीतर समयबद्ध तरीके से सुनवाई पूरी की जानी चाहिए.
राज्य से बाहर ट्रायल चलाने की तैयारी
केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया कि विचाराधीन अपराध के मुकदमे सहित पूरे मामले को मणिपुर से बाहर किसी भी राज्य में स्थानांतरित करने का आदेश दे. मणिपुर की महिलाओं से जुड़ी भयावह घटना का वायरल वीडियो सामने आने के बाद शीर्ष अदालत ने पिछले हफ्ते अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से कहा था कि यह अदालत बेहद परेशान है.
अदालत ने केंद्र और मणिपुर सरकार से यह भी कहा था कि या तो अपराधियों को पकड़ें अन्यथा न्यायपालिका कार्रवाई करेगी. केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि उपचारात्मक उपायों के रूप में राज्य सरकार ने 18 मई और 5 जुलाई 2023 को अपने आदेश के माध्यम से विभिन्न राहत शिविरों में मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मदद के लिए जिला मनोवैज्ञानिक सहायता टीमों का गठन किया है.