नई दिल्ली. भारत सरकार ने जनगणना 2027 (Census 2027) की तैयारियों का आगाज़ कर दिया है। इस बार यह जनगणना देश की पहली डिजिटल जनगणना होने जा रही है, जिसमें नागरिक खुद भी अपने व्यक्तिगत विवरण ऑनलाइन भर सकेंगे। सरकार ने ऐलान किया है कि लोग 1 से 7 नवंबर 2025 के बीच Self-enumeration Window के ज़रिए डिजिटल माध्यम से अपने डाटा को अपडेट कर पाएंगे।
प्री-टेस्ट फेज़: सिस्टम की जांच की तैयारी
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, जनगणना 2027 के पहले चरण (Houselisting और Housing Census) का प्री-टेस्ट 10 से 30 नवंबर 2025 तक किया जाएगा। यह ट्रायल देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चुने हुए इलाकों में किया जाएगा ताकि पूरे सिस्टम की कार्यक्षमता को परखा जा सके।
इस संबंध में भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त मृृत्युञ्जय कुमार नारायण ने राजपत्र अधिसूचना जारी की है। इसमें बताया गया है कि Census Act 1948 की धारा 17A को इस प्री-टेस्ट चरण पर भी लागू किया गया है, ताकि कानूनी रूप से यह प्रक्रिया सुचारू रूप से हो सके।
भारत की पहली डिजिटल जनगणना
यह प्री-टेस्ट असल में 2027 की पूरी जनगणना की एक Trial Run होगी, जो 1 अप्रैल 2026 से 28 फरवरी 2027 के बीच दो चरणों में आयोजित की जाएगी—
Houselisting and Housing Schedule (HLO)
Population Enumeration (PE)
इस अवधि में सरकार डिजिटल प्लेटफॉर्म, सर्वे मेथड्स, ट्रेनिंग मॉड्यूल और लॉजिस्टिक्स सिस्टम की कार्यक्षमता की जांच करेगी।
जनगणना 2027 के दौरान पहली बार जाति आधारित गणना (Caste Enumeration) को भी राष्ट्रीय स्तर पर शामिल किया जाएगा। इस प्री-टेस्ट में सवालों के फॉर्मेट, मोबाइल ऐप की परफॉर्मेंस, सॉफ्टवेयर की गति और डेटा कलेक्शन के तरीकों का गहन मूल्यांकन किया जाएगा।
चरणवार प्रक्रिया
पहला चरण (Houselisting Operation):
इसमें घरों की स्थिति, सुविधाओं और परिवार की संपत्ति से जुड़ी जानकारी ली जाएगी।
दूसरा चरण (Population Enumeration):
इसमें हर घर के प्रत्येक सदस्य की जनसांख्यिकीय, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जानकारी दर्ज की जाएगी।
मुख्य तारीखें:
अधिकांश क्षेत्रों के लिए 1 फरवरी 2027 से जनगणना शुरू होगी और 1 मार्च 2027 को संदर्भ तिथि माना जाएगा।
वहीं लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के हिमाच्छादित इलाकों के लिए यह संदर्भ तिथि 1 अक्टूबर 2026 होगी।
34 लाख से अधिक कर्मचारियों की तैनाती
इस ऐतिहासिक सर्वे में 34 लाख से ज्यादा गणनाकार और पर्यवेक्षक शामिल होंगे, जिन्हें 1.3 लाख से अधिक जनगणना अधिकारियों का सहयोग मिलेगा। यह भारत की अब तक की सबसे बड़ी प्रशासनिक कवायदों में से एक होगी।
यह भारत की 16वीं जनगणना और आज़ादी के बाद 8वीं जनगणना होगी। सरकार ने 16 जून 2025 को इस जनगणना की औपचारिक अधिसूचना जारी की थी।
2011 के बाद पहली बार अपडेट होगा डेटा
भारत की पिछली जनगणना 2011 में हुई थी, जबकि 2021 की जनगणना COVID-19 महामारी के कारण टल गई थी। इसलिए, जनगणना 2027 देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि यह नई जनसांख्यिकीय, सामाजिक और आर्थिक तस्वीर पेश करेगी।
यह डेटा आगे चलकर स्वास्थ्य, शिक्षा, कल्याण और आर्थिक योजनाओं की नीति निर्माण में अहम भूमिका निभाएगा।
