जयपुर: कांग्रेस राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, तेलंगाना व मिजोरम के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है. लगभग सभी राज्यों में पार्टी गुटबाजी व कलह से जूझ रही है. इससे उबरकर नेताओं को एकजुट कर चुनाव में जाने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं.
यही वजह है कि कांग्रेस चुनावों में किसी भी नेता को मुख्यमंत्री का चेहरा प्रोजेक्ट करने से बचेगी. इस पर पार्टी के वरिष्ठ नेता सहमति जता चुके हैं.
पांच राज्यों के चुनाव काफी अहम
दरअसल, 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव काफी अहम हैं. कांग्रेस राजस्थान व छत्तीसगढ़ में सरकार रिपीट करने के लिए मशक्कत कर रही है. जबकि मध्यप्रदेश में वापसी के भरसक प्रयास में है. राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच कलह कड़वाहट में बदल चुकी है. पायलट को लेकर कई तरह की सियासी चर्चा चल रही है.
हालांकि पायलट के नजदीकी नेता चर्चाओं को अफवाह बता रहे हैं. वहीं छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच सियासी रस्साकशी आम है. ऐसे में कांग्रेस ने कर्नाटक फॉर्मूले को ही आगे बढ़ाने की रणनीति बनाई है. कर्नाटक में कांग्रेस ने सिद्धारमैया व डी.के.शिवकुमार की कलह के चलते किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाया.
बहुमत आने पर विधायकों से रायशुमारी व मतदान करने से सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाया गया है. अब अन्य राज्यों में भी इसी तरह की रणनीति तैयार की गई है. पार्टी आलाकमान सभी नेताओं से बात कर इस बारे में प्रदेश के नेताओं को जानकारी भी दे रहे हैं.
पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे व कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राजस्थान और मध्यप्रदेश के नेताओं के साथ बैठक की. सूत्रों के अनुसार खड़गे व राहुल ने गहलोत व पायलट को यही समझाया कि चुनाव में एकजुट होकर काम करो. बहुमत आने पर विधायकों से मतदान करवा कर मुख्यमंत्री का चयन किया जाएगा. चुनाव में किसी को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट नहीं किया जाएगा.
सरकार के कामकाज पर लड़ेंगे चुनाव
राजस्थान व छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अपनी सरकारों के कामकाज पर चुनाव में उतरेगी. इसके साथ ही कांग्रेस शासित राज्यों में गारंटी कार्यक्रमों के लागू करने को भी मुद्दा बनाया जाएगा. दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री चुनाव की अगुवाई करते दिखेंगे.