हमीरपुर(भोरंज). पशुओं में बढ़ रही बांझपन की बीमारी ने पशुपालकों की चिंता बढ़ा दी है. गाय व भैंस में बांझपन का मर्ज अधिक देखने को मिल रहा है. हमीरपुर जिला में 10 से 15 फीसदी दूध देने वाले पशु बांझपन का शिकार हैं. पशु चिकित्सा विभाग भी इस रोग से बचाव के लिए कुछ खास नहीं करती दिख रही है. दुधारू पशुओं में गर्भधारण न होने से लोग इन्हें बेचने के लिए मजबूर हैं.
रासायनिक खाद का प्रयोग हानिकारक
लोगों का कहना है कि सरकार हजारों रुपए खर्च कर इन टीकों को खरीदती है और फिर पशुओं को कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है. पशुओं को गर्भ न ठहरने पर पशुपालकों को निराशा हाथ लग रही है. पशुपालकों ने प्राकृतिक गर्भधारण को ही उचित ठहराया है. अच्छी नस्ल व दुधारू पशुओं में बांझपन की शिकायत ज्यादा मिल रही है. बताया जाता है कि पशुओं में यह बीमारी पोषक तत्त्वों की कमी से होती है. भूसा व राशन के उत्पादन में अधिक रासायनिक खाद का प्रयोग करना इसकी वजह माना जा रहा है.
महंगे पशु खरीद लेते हैं पर संभाल नहीं पाते
पशु चिकित्सकों का कहना है कि इसे दूर करने के लिए पशुओं को हरा चारा बरसीम व जौई का नियमित डोज देना चाहिए. हरे चारे को तैयार करने में गोबर जैविक और हरी खाद का इस्तेमाल करें. ज्यादातर पशुपालक अच्छी नस्ल के महंगे पशु खरीद लेते हैं लेकिन रखरखाव व भरपूर मात्रा में पोषक तत्त्व नहीं दे पाते हैं. इसी से पशु एक-दो बार बच्चा देने के बाद बांझपन का शिकार हो जाते हैं. पशुओं को पहले से ही पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व मिलते रहें तो बांझपन की बीमारी से बचाया जा सकता है.

डॉक्टर का क्या कहते हैं
पशुओं को हरे चारे के साथ पशु आहार, खली और चूनी नियमित रूप से खिलाएं. पशु चिकित्सक डॉक्टर राकेश कुमार ने बताया कि रासायनिक खाद से तैयार किया गया चारा खाने से पशुओं की आंतरिक क्रियाओं का विस्तार नहीं होता है. इससे पशुओं में गर्भधारण नहीं होता है. ऐसे पशुओं को मिनरल मिक्सचर दवा खिलाएं.
कब लगवाएं टीका
इससे बांझपन की बीमारी दूर होगी और पशु के हीट के समय कुछ सावधानियां बरतें. कंटेनर से निकलते ही टीके लगवाएं, उपयुक्त हीट होने पर ही पशु को टीका लगे, पशु को इन्फेक्शन हो तो टीका न लगाएं. डाक्टर के परामर्श के बाद ही टीका लगवाएं आदि सावधानियां बरतनी जरूरी है.