नई दिल्ली. पत्रकार शांतनु भौमिक(28) की हत्या की विभिन्न राजनीतिक संगठनों और सिविल सोसाइटी के साथ समाज के अलग-अलग तबकों के लोगों ने आलोचना की है. कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने मीडियाकर्मी पर हो रहे हमलों को भारतीय लोकतंत्र के लिए चिंताजनक बताया है. हत्या के आरोप में इंडिजिनियस पीपुल फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के चार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है.
हिंसा को कवर करने के दौरान हत्या
बुधवार को शांतनु को पीट-पीटकर मार डाला गया था, जब वे त्रिपुरा राजायेर गणमुक्ति परिषद (टीआरयूजीपी) और इंडिजिनियस पीपुल फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के बीच जारी हिंसा को ‘पश्चिम त्रिपुरा’ जिले के मंडाई में कवर कर रहे थे. कहा जा रहा है कि शांतनु को पहले लाठी मारकर सड़क पर गिरा दिया गया. बाद में भीड़ ने उसे पीट-पीटकर मार डाला. उन्हे नजदीक के एक स्टेडियम में छिपा दिया था.
सत्तारूढ़ माकपा ने भाजपा पर लगाये आरोप
पिछले कई दिनों से आईपीएफटी और टीआरयूजीपी दोनों गुटों के बीच हिंसक झड़प चल रही है. हिंसा के बाद त्रिपुरा के दो जिलों में धारा-144 लगाई गई है.
माकपा पोलित ब्यूरो ने जारी एक बयान में कहा है कि हत्या के लिए बीजेपी समर्थित इंडिजिनियस पीपुल फ्रंट ऑफ त्रिपुरा(आईपीएफटी) जिम्मेवार है. सत्तारूढ़ माकपा ने इस मामले पर भाजपा पर निशाना साधते हुए बयान दिया, “माकपा इस नृशंस हत्या की घोर निंदा करती है! त्रिपुरा में भाजपा समर्थित आईपीएफटी के गुंडों के द्वारा पत्रकार की हत्या भाजपा की हताशा को दिखाती है. यह प्रगतिशील पत्रकारों की हत्या करने की एक कड़ी है.”
वहीं, भाजपा के राज्य यूनिट ने इस हत्या की आलोचना करते हुए ट्वीट किया; “राजनीतिक संघर्ष को कवर करने गए पत्रकार शांतनु भौमिक की हत्या की गई है. माकपा के शासन में कानून-व्यवस्था नाम की चीज नहीं बची है, केवल हिंसा बची हुई है.”
सीबीआई जांच की मांग
घटना के बाद बुधवार की रात को त्रिपुरा पत्रकार यूनियन ने मुख्यमंत्री मणिक सरकार के आवास के सामने हत्या के विरोध में प्रदर्शन किया. यूनियन ने शांतनु की हत्या की जांच सीबीआई से करवाने की मांग की है. शांतनु की हत्या के विरोध में देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. आज शाम चार बजे दिल्ली प्रेस क्लब में भी विरोध प्रदर्शन का कार्यक्रम रखा गया है.
पत्रकारों की स्थिति पर जारी एक वैश्विक रिपोर्ट के मुताबिक भारत सबसे खतरनाक देशों में 13वें पायदान पर है. पिछले दिनों बेंगलुरू में लंकेश पत्रिके की संपादक गौरी लंकेश की हत्या कर दी गई थी. इससे पहले भी कई पत्रकारों को काम के दौरान मार डाला गया है.