नई दिल्ली. भारत में सर्दी बढ़ने के साथ ही प्रदूषण का स्तर भी खतरनाक होता जा रहा है। गुरुवार को जारी ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की टॉप-40 सूची में सभी स्थान भारतीय शहरों ने हासिल किए हैं, हालांकि हैरानी की बात यह है कि दिल्ली इस बार टॉप-10 में भी शामिल नहीं है।
श्रीगंगानगर बना दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर
वेबसाइट aqi.in के आंकड़ों के मुताबिक, राजस्थान के श्रीगंगानगर में गुरुवार सुबह AQI 830 दर्ज किया गया, जो दुनिया में सबसे खराब वायु गुणवत्ता है।
हरियाणा के सिरसा जिले के सिवानी शहर में AQI 676 दर्ज हुआ, जो दूसरे स्थान पर रहा।
दिल्ली का AQI 433 दर्ज हुआ, जो ‘Severe’ श्रेणी में आता है। इसके बावजूद दिल्ली 13वें स्थान पर रही।
टॉप-10 सबसे प्रदूषित शहर (30 अक्टूबर, सुबह 8:30 बजे तक)
| रैंक | शहर | राज्य | AQI |
|---|---|---|---|
| 1 | श्रीगंगानगर | राजस्थान | 840 |
| 2 | सिवानी | हरियाणा | 644 |
| 3 | अबोहर | पंजाब | 634 |
| 4 | हिसार | हरियाणा | 477 |
| 5 | चुरू | राजस्थान | 456 |
| 6 | चरखी दादरी | हरियाणा | 448 |
| 7 | रोहतक | हरियाणा | 444 |
| 8 | नांगली बेहरामपुर | उत्तर प्रदेश | 438 |
| 9 | भिवानी | हरियाणा | 437 |
| 10 | सासरोली | हरियाणा | 433 |
दिल्ली में ‘Artificial Rain’ के बाद भी हालात गंभीर
दिल्ली में दो दिन पहले की गई क्लाउड सीडिंग (Artificial Rain) ट्रायल के बावजूद प्रदूषण का स्तर 400 से ऊपर बना हुआ है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह उपाय सिर्फ अस्थायी राहत दे सकता है, लेकिन वायु प्रदूषण के असली कारणों — जैसे पराली जलाना, वाहन धुआं, और निर्माण कार्यों की धूल — पर प्रभावी नियंत्रण की ज़रूरत है।
AQI स्तर के मानक
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) को छह श्रेणियों में बांटा गया है —
| श्रेणी | AQI सीमा | विवरण |
|---|---|---|
| Good | 0–50 | स्वच्छ और स्वास्थ्यकर |
| Satisfactory | 51–100 | संतोषजनक |
| Moderately Polluted | 101–200 | मध्यम प्रदूषित |
| Poor | 201–300 | खराब |
| Very Poor | 301–400 | बहुत खराब |
| Severe | 401–500 | गंभीर / स्वास्थ्य के लिए हानिकारक |
विशेषज्ञों की चेतावनी
पर्यावरणविदों का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में लगातार गिरती वायु गुणवत्ता से सांस की बीमारियों, एलर्जी और आंखों में जलन के मामलों में वृद्धि हो सकती है।
उन्होंने सरकारों से दीर्घकालिक समाधान अपनाने की अपील की है, ताकि हर साल सर्दियों में बढ़ने वाले प्रदूषण संकट को स्थायी रूप से कम किया जा सके।
