हमीरपुर. सूत्रों की माने तो बीजेपी हाईकमान की मनमानी के चलते टिकटों में फेरबदल के साथ मुख्यमंत्री का चेहरा न दिए जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल सदमे में हैं. दो बार प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने पिछले पांच साल तक विपक्ष में रहते हुए नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाते हुए ‘मिशन 60 प्लस’ की योजना पर काम किया है. लेकिन पिछले कुछ दिनों से पार्टी हाईकमान की वजह से अब धूमल अपने बजूद से लड़ते दिख रहे हैं.
अब सूत्रों से यहाँ तक ख़बरें आने लगीं हैं कि 23 अक्टूबर को नामांकन भरने के लिए भी पूर्व सीएम धूमल पूरी तरह से तैयार नहीं हैं. इस बात पर भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि धूमल नामांकन पत्र दाखिल नहीं करेंगे और न ही चुनाव लडेंगे. दिल्ली से वापिस हमीरपुर लौटे पूर्व सीएम धूमल के चेहरे पर निराशा साफ़ दिखायी दे रही है. वहीं पूरे प्रदेश में धूमल को मुख्यमंत्री चेहरा न दिए जाने के बाद विरोध के स्वर साफ दिखाई दे रहे हैं. इस तरह बीजेपी का प्रदेश में भविष्य धूमिल होता नजर आ रहा है.
अब अगर दूसरी ओर देखें तो कांग्रेस पार्टी के लिए यह संजीवनी से कम नहीं है क्योंकि कांग्रेस पार्टी पहले ही मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को कमान सौंप चुकी है और बीजेपी हाईकमान की वजह से हो रही फजीहत का पूरा पूरा लाभ उठाने की फिराक में है.
अगर चुनावी पंडितों की माने तो यह हिमाचल के इतिहास में पहली बार ऐसा देखने को मिला है कि बीजेपी हाईकमान जनता के चहेते नेताओं को टिकट न देकर बीजेपी के कुछ खास नेताओं और समर्थकों को तरजीह दे रही है. जमीन से जुड़े नेताओं और उनके समर्थकों की भावनाओं को पूरी तरह से अनदेखा किया जा रहा है. जिससे हिमाचल प्रदेश में इस बार विधानसभा चुनावों में रोचक स्थिति पैदा होने जा रही है क्योंकि बीजेपी में अब टिकटों को लेकर चल रही खींचतान कांग्रेस को फायदा देने वाला दिख रही है.