प्रदेश में इस साल के अंत मे विधान सभा चुनाव होने हैं, जिसके लिये आचार संहिता इस माह के अंत तक लागू हो जाने की संभावना है। इस तरह वीरभद्र सरकार के पांच सालों के कार्यकाल की यह आखिरी कैबिनेट बैठक होगी। इस बैठक में वीरभद्र सिंह चुनाव को देखते हुए तात्कालिक मांगों पर घोषणाओं की झड़ी लगा सकते हैं।
रिक्त पद भरने की मांगें
यदि तात्कालिक मुद्दों की बात की जाय जो मांग के रूप में निरंतर समाचार पत्रों की सुर्ख़ियों में बनी हुईं हैं तो उनमें युवाओं को रोजगार, सेवानिवृत्ति की आयु, स्वास्थ्य विभाग में लंबे समय से चल रहे रिक्त पदों की भर्ती आदि प्रमुख हैं। प्रदेश के जिला अस्पतालों में 320 दवायें मुफ्त देने की घोषणा सरकार कर चुकी है जिसे कैबिनेट से अनुमति मिलनी बाकी है।
बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के खाली पदों पर भर्ती, 1500 लेफ्ट आउट पीटीए शिक्षकों का मानदेय, आईटी उद्योग को बकाया करों में रियायत, पेंशनरों की पेंशन में विशेष वृद्धि का मामला, आईटी शिक्षकों के लिए पॉलिसी का निर्धारण, आउटसोर्स किये जाने वाले कर्मचारियों के लिए पॉलिसी, बागवानी विभाग के 519 प्रवर अधिकारियों को 32 साल बाद पदोन्नति देने का मामला प्रमुख है।
राधास्वामी सत्संग व्यास
जिन मुद्दों पर सबकी निगाहें बनी रहेगीं उसमें ‘राधास्वामी सत्संग व्यास’ की अतिरिक्त जमीन तथा चाय बागान की जमीन का मामला प्रमुख है। संत राम-रहीम का मुद्दा आजकल समाचारों में छाया हुआ है जिसको लेकर सभी सरकारें अपने यहाँ के संतों से सतर्क हैं। हिमाचल प्रदेश में भी बाबाओं की संख्या और उनकी संपत्तियों की मात्रा में कोई कमी नहीं है । जिनसे आशीर्वाद लेने और सत्ता संरक्षण देने में कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों में कोई पीछे नहीं है ।
सत्संग व्यास का प्रदेश में कुल 6000 बीघा जमीन पर कब्ज़ा है जो उन्होंने अपने श्रद्धालुओं से दान में हासिल किया है । जबकि हिमाचल के लैंड सीलिंग एक्ट के अनुसार कोई भी 150 बीघा से अधिक जमीन अपने पास नहीं रख सकता लेकिन इससे चाय बागान मालिकों और राधास्वामी सत्संग व्यास को छूट प्राप्त है। अब सत्संग व्यास ने सरकार से यह आवेदन किया है कि उसके पास पर्याप्त मात्रा में जमीन है जिसे बेचने की अनुमति दी जाय। देखना यह है कि वीरभद्र सरकार इस पर क्या निर्णय लेती है?
संक्रामक बीमारियां
वहीं प्रदेश में लगातार संक्रामक बीमारियां- स्वाईन-फ्लू, स्क्रब टाईफस आदि के फैलने की ख़बरें आ रहीं हैं और स्वास्थ्य विभाग के पदों के रिक्त होने के कारण उपचार में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मरीजों की संख्या ज्यादा है और चिकित्सकों, कर्मचारियों की संख्या भारी कम है ।
बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता के कुल 2036 पदों में 1182 पद रिक्त हैं। यदि यह नियुक्तियां नहीं हुईं तो प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएँ निरंतर बदहाल होती जायेगीं। इसको लेकर कैबिनेट से निर्णय आने की उम्मीद की जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त यह भी देखने वाली बात होगी कि चुनाव में वोटरों को रिझाने ले लिए कोई और निर्णय वीरभद्र सरकार लेती है या नहीं!