शिमला. हिमाचल की राजधानी शिमला की ऐतिहासिक धरोहर टाउन हॉल को नगर निगम द्वारा दिल्ली की एक कंपनी को 10 साल के लिए दिया जा रहा है, जिसका विरोध पूर्व डिप्टी मेयर और CPIM के जिला सचिव संजय चौहान ने किया है. उन्होंने मुख्यमंत्री सुक्खू को चिट्ठी लिखकर टाउन हॉल को व्यापार के लिए सौंपने से साफ इंकार किया है.
ऐतिहासिक धरोहर को न बेचे नगर निगम
पूर्व डिप्टी मेयर संजय चौहान ने चिट्ठी में लिखा कि टाउन हॉल भवन का निर्माण साल 1905 में ब्रिटिश काल में किया गया था. उसी समय से इसका इस्तेमाल प्रशासनिक कार्यालय के रूप में किया जाता रहा है. नगर निगम शिमला का कार्यालय इसमें लम्बे समय से कार्य करता आ रहा है. ऐसे में पैसों के लालच में आकर इतनी पुरानी धरोहर को निजी कंपनी को देना बिल्कुल गलत डिसिजन है.
उन्होंने कहा कि टाउन हॉल के टॉप फ्लोर में मेयर डिप्टी मेयर और कमिश्नर का ऑफिस है, जबकि ग्राउंड फ्लोर पर अधिकारियों और जनसेवा के लिए विभागीय कार्यालय और MC कॉफ्रेंस हॉल है. भाजपा शासित नगर निगम शिमला ने प्रदेश सरकार के दबाव में आकर इसको व्यवसायिक रूप से चलाने के लिए एक प्रस्ताव पारित करके हाईकोर्ट में शपथ पत्र दायर किया, जिसमें इस भवन को किसी निजी संस्थान को देने का प्रस्ताव भी सलंग्न था. टाउन हॉल निजी हाथों में देने के बाद नगर निगम के पास बैठकें करने के लिए कोई जगह नहीं होगी.
नगर निगम कर रहा नियमों का उल्लंघन
उन्होंने कहा कि शिमला टाउन हॉल को निजी हाथों में देकर पूर्व भाजपा सरकार व निवर्तमान नगर निगम शिमला द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र का दुरुपयोग किया गया है. अपने संवैधानिक दायित्व का उल्लंघन करके कानून की अवहेलना की गई है, जिस पर मुख्यमंत्री को संज्ञान लेना चाहिए. निगम ने इस निर्णय से संविधान और हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम,1994 का उल्लंघन किया है.