नई दिल्ली. राज्यसभा में नए नाम शामिल हुए हैं, जिनमें सबसे अधिक चर्चित चेहरा हैं केरल से BJP नेता सी. सदानंदन मास्टर, जिन्होंने दोनों पैर गंवाने के बाद भी खुद को समाजसेवा और राजनीति में स्थापित किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नामांकित सदस्यों में उनके साथ इतिहासकार डॉ मीनाक्षी जैन और वरिष्ठ राजनयिक हर्षवर्धन श्रृंगला और उज्ज्वल देवराव निकम भी शामिल हैं।
सदानंदन मास्टर: साहस और सेवा का प्रतीक
कभी वामपंथी विचारधारा से जुड़े रहे सी. सदानंदन का वैचारिक परिवर्तन मलयालम साहित्य के ज़रिए हुआ और वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ गए। साल 1994 में उन पर हुए हमले में उनके दोनों पैर काट दिए गए, फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। Artificial limbs के सहारे खड़े होकर वे समाजसेवा और विचार प्रचार में और भी सक्रिय हो गए। उन्होंने केरल जैसे वामपंथी गढ़ में BJP Leader Kerala के रूप में पहचान बनाई और दो विधानसभा चुनाव भी लड़े। आज वे BJP के केरल इकाई के उपाध्यक्ष हैं।
डॉ मीनाक्षी जैन: Ram Mandir और इतिहास लेखन की विदुषी
इतिहासकार और प्रोफेसर डॉ मीनाक्षी जैन ने भारतीय इतिहास को एक वैकल्पिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया। उनका शोध कार्य Ram Janmbhoomi केस में रेफरेंस पॉइंट बना। Gargi College, Delhi University में प्रोफेसर रह चुकीं जैन ने ICHR और नेहरू मेमोरियल म्यूजियम में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्हें 2020 में Padma Shri Award से नवाज़ा गया। उनका राज्यसभा मनोनयन अकादमिक जगत के लिए भी सम्मान की बात है।
हर्षवर्धन श्रृंगला: Howdy Modi के रणनीतिक सूत्रधार
पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला की पहचान एक दक्ष कूटनीतिज्ञ की है। उन्होंने अमेरिका, बांग्लादेश और थाईलैंड में भारत के राजदूत के तौर पर काम किया। बांग्लादेश के साथ हुए Land Boundary Agreement और Howdy Modi Event में उनकी भूमिका अहम रही। IFS से रिटायर होने के बाद वे G20 सम्मेलन के मुख्य संयोजक बने और Delhi Declaration G20 की सफलता सुनिश्चित की।
उज्ज्वल निकम: न्याय की निर्भीक आवाज
उज्ज्वल देवराव निकम भारत में आतंकवाद और संगठित अपराध के खिलाफ कानूनी लड़ाई का एक जीवंत प्रतीक हैं. महाराष्ट्र के जलगांव में 1953 में जन्मे निकम का पारिवारिक परिवेश ही न्याय और सेवा भावना से प्रेरित था-पिता एक वकील और जज, जबकि मां स्वतंत्रता सेनानी. निकम ने पुणे विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की डिग्री और जलगांव के एसएस मनियार लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की.
तीन दशकों से अधिक लंबे अपने करियर में उन्होंने ऐसे 628 अपराधियों को आजीवन कारावास और 37 को मृत्युदंड दिलाया है. उनका सबसे चर्चित मुकदमा था 26/11 मुंबई आतंकी हमले के जीवित आतंकी अजमल कसाब के खिलाफ केस, जिसे उन्होंने बेहतरीन ढंग से लड़कर फांसी तक पहुंचाया. इसके अलावा उन्होंने 1993 मुंबई बम धमाके, गुलशन कुमार हत्याकांड, प्रमोद महाजन मर्डर केस और कोपर्डी बलात्कार-हत्या जैसे मामलों में भी सरकार की ओर से केस लड़ा.
2010 में वे संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक आतंकवाद सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. उनके जीवन पर मराठी फिल्म ‘आदेश-पावर ऑफ लॉ’ बन रही है और इस फिल्म में अभिनेता राजकुमार राव उनकी भूमिका निभा रहे हैं.