शिमला. संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती पर देशभर में उन्हें याद किया जा रहा है. हिमाचल में भी जगह-जगह कार्यक्रमों का आयोजन कर उनके योगदान को याद किया जा रहा है. इसी को लेकर आज जिला सोलन के कोठों स्थित कला केंद्र में भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 133वीं जयंती समारोह में महामहिम राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की.
वैश्विक महापुरूष थे डॉ. भीमराव अंबेडकर: शिव प्रताप शुक्ल
इस दौरान राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर किसी एक वर्ग से संबंधित नहीं हैं अपितु समूची मानवता के प्रतीक थे और वैश्विक महापुरूष थे, जिनके द्वारा प्रदत्त समानता का संदेश आज पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है. राज्यपाल ने कहा कि डॉ. अंबेडकर कहा करते थे कि ‘सबसे पहले और अंत में वह केवल भारतीय हैं. उन्होंने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार हैं, जिन्होंने देश को एक मजबूत और एकजुट भारत का संविधान दिया. उन्होंने कहा कि भारत के संविधान को जब अपनाया गया था तब भारत के नागरिकों ने शांति, शिष्टता और प्रगति के साथ एक नए संवैधानिक, वैज्ञानिक, स्वराज्य और आधुनिक भारत में प्रवेश किया था. हमारा संविधान पूरी दुनिया के लिए अनोखा दस्तावेज है, जिसके लिए बाबा साहब के महान योगदान को हम भुला नहीं सकते.
मोदी जी ने देश की इस महान शख्सियत को वह स्थान दिया जिसके वे पात्र थे
राज्यपाल ने कहा कि कुछ लोग अंबेडकर को संसद की पहुंच से दूर रखना चाहते थे. लेकिन, देश की जनता ने उन्हें संसद भेजा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश की इस महान शख्सियत को वह स्थान दिया जिसके वे पात्र थे. बाबा साहेब से जुड़े तीर्थ स्थलों को ‘पंचतीर्थ’ के रूप में विकसित किया गया ताकि बाबा साहेब की स्मृतियां अमर रहें और भावी पीढ़ी उनके तप व त्याग से सीख ले सके. शुक्ल ने कहा कि बाबा साहेब का कहना था कि बुद्धि का विकास ही सबसे महत्वपूर्ण विकास है.
एक विकसित समाज के व्यक्ति को उतना व्यक्तिगत और पारिवारिक संघर्ष नहीं करना पड़ता जितना एक अविकसित समाज के व्यक्ति को करना पड़ता है. उन्होंने कहा डॉ. अंबेडकर, एक उच्च शिक्षित व्यक्ति, प्रोफेसर, शिक्षाविद और एक अग्रणी वैश्विक विचारक थे. डॉ. अंबेडकर ने अपने जीवन में शिक्षा को सबसे अधिक महत्व दिया और सदैव कहा कि शिक्षा के माध्यम से ही मनुष्य समृद्ध हो सकता है.
उन्होंने कहा कि बाबा साहेब का कहना था कि नैतिकता के बिना शिक्षा का मूल्य शून्य है. हमें अपने ज्ञान का उपयोग अपने भाइयों और बहनों के सुधार एवं प्रगति के लिए करना चाहिए, तभी भारत समृद्ध होगा. उनका जीवन और कार्य दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित करता है. उनकी विरासत को हमेशा समाज के दबे-कुचले और वंचित वर्गों के लिए आशा की किरण के रूप में याद किया जाएगा.

इस अवसर पर, राज्यपाल ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों को भी सम्मानित किया. इनमें हिमाचल गौरव से सम्मानित डॉ. कृष्णलाल सहगल, समाज सेवक कुलराकेश पंत, उर्दू के विद्वान डॉ. योगराज, कला के क्षेत्र में टविंकल शर्मा तथा लगन सिंह शामिल थे.
नगर निगम सोलन की महापौर श्रीमती पूनम ग्रोवर, सोलन के उपायुक्त श्री मनमोहन शर्मा, पुलिस अधीक्षक श्री वीरेन्द्र शर्मा, मशरूम अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. वी.पी. शर्मा तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे.