नई दिल्ली. नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने स्वीकार किया है कि नोटबंदी व ‘माल और सेवा कर'(जीएसटी) लागू होने की वजह से समस्याएं आयी हैं. उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद आर्थिक वृद्धि में कमी देखने को मिलती है, लेकिन अब लोगों के द्वारा जीएसटी को अपना लिया गया है.
ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के शासनकाल के अंतिम दो वर्षों में आयी आर्थिक वृद्दि में नरमी के चक्र से देश बाहर आ गया है, अब छह महीने में आर्थिक वृद्धि दर सुधरेगी. मोदी सरकार का बचाव करते हुए राजीव कुमार ने कहा कि पिछले तीन सालों में 250 अरब डॉलर का एफडीआई आया है. वहीं, आरएसएस से जुड़े मजदूर संगठन ने कहा है कि एफडीआई के आने से छोटे उद्योग खत्म हो रहे हैं और रोजगार में कमी आई है.
गौरतलब हो कि पिछले तीन सालोंं में आर्थिक विकास दर सबसे न्यूनतम स्तर 5.7 पर आ गया है. इसकी बड़ी वजह नोटबंदी को माना जा रहा है. पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने नोटबंदी को घटते आर्थिक वृद्धि में ‘आग में घी डालने’ वाला फैसला करार देते हुये वित्त मंत्री अरुण जेटली को अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने के लिए दोषी ठहराया था. एक अंग्रेजी अखबार में लिखे कॉलम में उन्होंने लिखा था कि गणना के पुराने तरीके से जीडीपी वृद्दि दर 3.7 फीसदी से भी कम हो चुका है.
आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार के बयान के उलट व्यापारी और उद्योगों से जुड़े लोग अब भी जीएसटी से परेशान होने की बात कर रहे हैं. व्यापारियों और उद्योगों की समस्याओं को दूर करने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली आज निर्यातकों और उद्योगपतियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर रहे हैं. फिक्की, सीआईआई, एफआईईओ और एफआईएमएसई इस बैठक में जीएसटी में चुकाये मुल्य की समय पर वापसी सहित अन्य समस्याओं को वित्त मंत्री के समक्ष रखेंगे.